उन्होंने कहा कि जिस राज्य ने केंद्र को 73 सांसद, प्रधानमंत्री व मंत्री दिए, आज उसी सूबे के लोग खाली हाथ हैं। सूबे के एक भी शहर को केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी योजना में शामिल नहीं किया है, जबकि खूनी व्यापम महाघोटाले वाले राज्य मध्यप्रदेश के तीन शहरों को इस योजना में शामिल किया गया है, क्योंकि वहां भाजपा की सरकार है।
सपा एमएलसी ने कहा कि सूबे के लोग अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। भाजपा को यह भेदभाव काफी महंगा पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा को कम से कम लखनऊ व बनारस को तो इस सूची में शामिल कर लेना चाहिए था। इस सूची के सामने आने के बाद सूबे के विकास की बात करने वाली भाजपा का ‘असली चेहरा’ जनता के सामने आ गया है।
मलिक ने कहा कि भाजपा राम के नाम पर लोगों को मूर्ख बना रही है। राम का सम्मान तो मुसलमान भी करते हैं। वोट के लिए आस्था के मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा का आचरण मर्यादा पुरुषोत्तम राम की मर्यादा के बिल्कुल विपरीत है। यह पार्टी राम के नाम का जाप केवल कुर्सी पाने के लिए करती रही है। इनकी कुर्सियों के नीचे लाशों के ढेर हैं।
आशू मलिक ने यूपी चुनाव से पहले दलित राजनीति को लेकर मचे घमासान पर कहा कि भाजपा और बसपा के लोग इस मसले पर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, क्यांेकि वे दलितों को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते। इसके विपरीत सपा उनका असल में उत्थान चाहती है।
उन्होंने सपा सरकार के काम काज को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आचरण व स्वभाव ऐसा है कि विरोधी भी उनकी प्रशंसा करने को मजबूर हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों तथा जिला पंचायतों के चुनावों में सपा की जीत से सरकार के कामकाज पर जनता की मोहर लग गई है।