मप्र में पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी के अचानक तबादले और उस पर सत्ता एवं सत्तारूढ़ दल द्वारा बयान की यह रूटीन तबादला है जनता को नहीं हजम हुआ.आज यदि जन-सर्वेक्षण करवाया जाय तो आईपीएस गौरव तिवारी ईमानदारी के तमगे के साथ शिखर पर होंगे.भले ही सत्ता में शामिल मंत्री की वजह से एवं उसके बाद आने वाले भूचाल से घबरा उसे रोकने की जो कवायद की गयी उस भूचाल की तीव्रता कम करने में कुछ कारगर रहीं परन्तु जनमानस के मन से सच्चाई की छाप हटाने में नाकामयाब रही .आज गौरव तिवारी जन के “सिंघम” हैं .
कटनी हवाला कांड में कार्रवाई और फिर कटनी से छिंदवाड़ा स्थानांतरित करने पर सुर्खियों में आए छिंदवाड़ा एसपी गौरव तिवारी सोमवार को रतलाम न्यायालय में दो मामलों में अपने बयान दर्ज कराने पहुंचे। वे आईपीएस प्रशिक्षण अवधि के दौरान रतलाम में थाना प्रभारी, सीएसपी व एएसपी पद पर पदस्थ रहे।
इस दौरान उन्होंने जिले में भी कई बड़ी कार्रवाई की थी, जिसके चलते लोगों में उनकी पहचान सख्त अफसर के रूप में बनी हुई है। उनके आने की खबर तेजी से फैली और बड़ी संख्या में प्रशंसक उनसे मिलने पहुंचे। कोर्ट की प्रक्रिया के बाद तिवारी जब एसपी अमित सिंह से मिलने पहुंचे तो सिंह ने तिवारी को देखते ही कहा कि अरे सिंघम…..कैसे हो?
जिस पुलिस अधिकारी की कार्यवाही को झुठलाया गया एवं ताबड़तोड़ उनका तबादला करने और उपजे जन – आक्रोश के बाद जिस तरह से बयानबाजी हुई या उससे सत्ता-पक्ष को आतंरिक रूप से जबरजस्त आघात हुआ है और जनमानस में ईमानदार अधिकारी को “सिंघम” का अघोषित तमगा जनता द्वारा दिया गया है .यह इस बात का संकेत है की जनता को क्या चाहिए आज के दौर में.
अनिल सिंह की कलम से –