नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहीं ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की महासचिव वी.के.शशिकला को करारा झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति मामले में निचली अदालत से उन्हें मिली सजा को मंगलवार को बरकरार रखा।
शशिकला तथा उनके दो रिश्तेदारों वी.एन.सुधाकरण तथा एलावारसी को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराने तथा सजा सुनाने के फैसले को बरकरार रखते हुए न्यायाधीश न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष तथा न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की एक पीठ ने तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.जयललिता, शशिकला तथा सुधाकरण व एलावारसी को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा बरी करने के फैसले को खारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद शशिकला अब 10 वर्षो तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। इसमें से चार साल उनकी कैद की अवधि के होंगे और रिहा होने के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगी।
निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि शशिकला तथा दो अन्य दोषी निचली अदालत के समक्ष समर्पण करेंगे और उन्हें बाकी की सजा पूरी करनी पड़ेगी।
न्यायालय ने तीनों को तत्काल निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है।
निचली अदालत ने शशिकला को चार साल जेल की सजा तथा 10 करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
निचली अदालत ने जयललिता, शशिकला तथा दो अन्य को 27 सितंबर, 2014 को दोषी ठहराया था।
न्यायमूर्ति रॉय ने फैसला सुनाते हुए समाज में बढ़ रहे भ्रष्टाचार के खतरे पर गहरी चिंता जताई।
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर सुनवाई के बाद आया है, जिसमें उसने 11 मई, 2015 को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता, शशिकला तथा दो अन्य को बरी करने के फैसले को चुनौती दी थी।
सन् 1991-1996 के दौरान जयललिता के मुख्यमंत्री रहते हुए 66.65 करोड़ रुपये के आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में चारों को निचली अदालत ने दोषी ठहराया था।