नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा है कि अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए उसकी ओर से कोई जांच समिति नहीं बनाई गई है, लेकिन भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) समूह के खिलाफ ‘आरोपों की जांच’ कर रहा है.
बीते सोमवार को केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी है.
सरकार ने यह भी कहा कि उसने सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी है कि वह ‘हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के साथ-साथ रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले और बाद की बाजार गतिविधि की जांच की है.’
लोकसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद के. सुब्बारायण के सवाल कि ‘क्या सरकार ने अमेरिकी निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए किसी समिति का गठन किया है’, इस पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने ‘नहीं’ में जवाब दिया.
इस मुद्दे पर रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने पूछा कि क्या सरकार ने देश के कॉरपोरेट क्षेत्र में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रभाव का विश्लेषण किया है और क्या उसने ‘राष्ट्रीयकृत बैंकों और सरकार के वित्तीय संस्थानों से रिपोर्ट के संदर्भ में अडानी समूह की कंपनियों को आगे ऋण देने को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव दिया है’?
इस पर पंकज चौधरी चौधरी ने जवाब दिया कि ‘भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, बैंक अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों और और के विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों के भीतर ऋण की व्यावसायिक व्यवहार्यता के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर ऋण संबंधी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं. इसके अलावा आरबीआई ने सूचित किया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ई के प्रावधानों के तहत आरबीआई को क्रेडिट (ऋण) जानकारी का खुलासा करने से प्रतिबंधित किया गया है.
इस बीच कांग्रेस सांसद दीपक बैज ने एक लिखित प्रश्न में विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के अडानी समूह की कंपनियों के ऋण/ऋण जोखिम के विवरण के बारे में पूछा था.
इसके जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने सूचित किया है कि अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज के लिए उसका ऋण जोखिम क्रमश: 31/12/2022 और 5/3/2023 को 6,347.32 करोड़ रुपये और 6,182.64 करोड़ रुपये था.’
उन्होंने कहा कि ‘सार्वजनिक क्षेत्र की पांच सामान्य बीमा कंपनियों ने सूचित किया है कि इन कंपनियों का अडानी समूह की कंपनियों पर ऋण नहीं है.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सवाल किया था. उन्होंने सेबी की जांच के एजेंडे और इसके पूरा होने की प्रस्तावित समय सीमा के बारे में भी जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है सेबी दो महीने के भीतर चल रही जांच को पूरा करेगा.
‘अडानी समूह की जांच के लिए समिति का कार्यक्षेत्र, जैसा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सुझाया है और सीलबंद लिफाफे में ऐसे सुझाव/नाम देने के कारण’ से संबंधित सांसद के सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा, ‘भारत सरकार ने शीर्ष अदालत द्वारा गठित की जाने वाली प्रस्तावित समिति के संदर्भ में अपने सुझाव प्रस्तुत किए है.’
उन्होंने कहा कि सुझाई गई संदर्भ की शर्तों को अदालत के निर्देश पर याचिकाकर्ताओं के साथ साझा किया गया था. समिति को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सत्यता का पता लगाने समेत विभिन्न पहलुओं की जानकारी देने के लिए कहा गया है.
इसके अलावा जवाब में कहा गया है कि समिति सभी अघोषित ‘शॉर्ट पोजीशन’ और अन्य लेनदेन, धन के स्रोत और शॉर्ट सेलर्स द्वारा भारत या विदेश में कमाए गए मुनाफे के विवरण का पता लगाएगी और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
कई अन्य सांसदों ने भी लोकसभा में अडानी समूह से संबंधित मुद्दे पर सवाल उठाए.
कांग्रेस के एक अन्य सांसद एस. जोथिमनी ने अडानी समूह की कंपनियों में सेबी और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) द्वारा जांच के प्रमुख निष्कर्षों और परिणामों के बारे में पूछा.
इसके जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी कहा कि ‘अडानी समूह की कंपनियों द्वारा बिजली उत्पादन, बिजली ट्रांसमिशन और इंफ्रास्ट्रक्चर (पोर्ट और एसईजेड) उपकरणों के आयात से संबंधित जांच राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा की गई है और प्रासंगिक न्यायिक अधिकारियों के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है.’
अडानी समूह की कंपनियों द्वारा इंडोनेशियाई कोयले के आयात से संबंधित मामले के संबंध में मंत्री ने कहा, ‘राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा जांच अंतिम रूप से नहीं पहुंच पाई है, क्योंकि निर्यातक देशों से लेटर्स रोगेटरी (एलआर यानी किसी प्रकार की न्यायिक सहायता के लिए किसी विदेशी अदालत से किया गया औपचारिक अनुरोध) के माध्यम से मांगी गई जानकारी मुकदमेबाजी के अधीन है.’
त्रिशूर से कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने ‘अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज द्वारा शेयर बाजार में हेरफेर की जांच’ के बारे में पूछा.
उन्होंने पूछा था, ‘क्या सरकार को अडानी समूह की कंपनियों के प्रमुखों की संपत्ति में आई गिरावट के बारे में पता है और यदि हां, तो उसका विवरण और सरकार की प्रतिक्रिया क्या है और क्या सरकार अडानी समूह की कंपनियों की संपत्ति में कथित गिरावट के कारणों से अवगत है?’
इसके जवाब में पंकज चौधरी ने कहा, ‘हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के बाद 24 जनवरी, 2023 से 01 मार्च, 2023 तक अडानी समूह का हिस्सा बनने वाली नौ सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.’
मंत्री ने कहा कि ‘ये कंपनियां सेंसेक्स का हिस्सा नहीं हैं और निफ्टी में 1 प्रतिशत से कम का संयुक्त भार है.’
उन्होंने कहा कि ‘इन कंपनियों के शेयरों में अस्थिरता का प्रणालीगत स्तर पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा है. जनवरी 2023 में निफ्टी 50 में लगभग 2.9 प्रतिशत की गिरावट आई और जनवरी तथा फरवरी 2023 यानी 2 महीने की अवधि में लगभग 4.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.