इंदौर– गुजरात की तरह अब मध्य प्रदेश में भी लोकतांत्रिक व्यवस्था को झटका लगा है। सूरत की तरह अब इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी ने दबाव में आकर अपना नाम वापस ले लिया। इसके साथ ही कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय बम भाजपा में शामिल हो गए। बताया जा रहा है कि अक्षय कांति बम के खिलाफ 17 साल पुराने एक मामले में 307 (हत्या का प्रयास) बढ़ा दी गई थी। इसी कारण दबाव में आकर वे भाजपा में शामिल हो गए।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा विधायक रमेश मेंदोला के साथ अक्षय बम सोमवार दोपहर नाम वापस लेने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। नामांकन वापस लेने के बाद उन्होंने भाजपा भी जॉइन कर ली। मंत्री विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम का भाजपा में स्वागत है।
सूत्रों के मुताबिक हाईकमान के निर्देश पर कैलाश विजयवर्गीय ने इसकी प्लानिंग की और पुराने केस में फंसाने की धमकी देकर अक्षय बम को नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया। वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के करीबी माने जाते थे। पटवारी ने इस मामले पर कहा कि अक्षय कांति बम पर तीन दिन पहले एक पुराने मामले में 307 की धारा बढ़वाई गई। डराया गया। धमकाया गया। रातभर यातना दी गई। आज उसको साथ ले जाकर फॉर्म वापिस निकलवा लिया गया।
पटवारी ने शहर के लोगों से अपील करते हुए कहा कि इंदौरवासियों, ये मैसेज है कि आपको वोट के अधिकार का इस्तेमाल नहीं करना है। मैं प्रार्थना करता हूं कि आपको अगर लोकतंत्र में विश्वास है तो इस तानाशाही के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा। बहरहाल, इस घटना ने एक बार फिर लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर भाजपा की मंशा सामने ला दिया है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जनता के पास विपक्ष को वोट देने का विकल्प नहीं होना चिंता का विषय है।