न्यूयॉर्क, 26 अगस्त (आईएएनएस)। यदि इंसान का दिमाग अपनी गलतियों से सीखने का अवसर पाता है तो वह असफलताओं को जीवन के सकारात्मक अनुभवों में बदल देने में सक्षम हो जाता है। यह जानकारी एक नए शोध में सामने आई है।
वैज्ञानिक लंबे अर्से से यह समझते रहे हैं कि मस्तिष्क के पास सीखने के दो रास्ते हैं।
एक है सीखने से रुक जाना जो कि एक नकारात्मक अनुभव है और जो दिमाग को गलती दोहराने से बचाता है।
दूसरा तरीका फायदा पहुंचाने वाली सीखने की पद्धति का है। यह एक सकारात्मक अनुभव होता है जो दिमाग को सही उत्तर तलाशने पर सम्मान पाने जैसा अहसास देता है।
दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर जिओरजिओ कोरिसेली ने बताया, “हम पाते हैं कि कुछ खास परिस्थितियों में जब अपनी पसंद को संदर्भित करने के लिए पर्याप्त सूचना पाते हैं तो हमारा दिमाग टालमटोल के बजाए विषय को मजबूती से समझने के तंत्र की तरफ बढ़ता है।”
अध्ययन में शोधार्थियों ने 28 युवाओं के सामने तीन तरह के प्रश्न रखे जो उन्हें सही जवाब की स्थिति में सर्वाधिक लाभ की चुनौती दे रहे थे।
गलत जवाब देने पर उन्हें कुछ धन का नुकसान होता। सही जवाब देने पर उन्हें धन का लाभ होता।
एक परीक्षण में उनके दिमाग को सीखने के प्रति टालमटोल की प्रक्रिया के जरिए गलत जवाब देने के लिए प्रेरित किया गया।
दूसरे परीक्षण में सम्मान-पुरस्कार हासिल करने वाली सीखने की प्रक्रिया के दिमाग पर असर को जांचा गया। तीसरे परीक्षण में यह जांचा गया कि प्रतिभागियों ने अपनी गलती से कुछ सीखा या नहीं।
तीसरे परीक्षण यानि गलती से सीखने में प्रतिभागियों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। इसमें उनके दिमाग का वह हिस्सा सक्रिय हुआ जिसे कुछ वैज्ञानिक दिमाग का ‘रिवार्ड सर्किट’ कहते हैं।
यह वही प्रक्रिया है जिसे दिमाग पछतावे की हालत में अनुभव करता है।
नेचर कम्युनिकेशन्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि पछतावे की हालत में, मिसाल के लिए अगर किसी ने कुछ गलत किया है तो वह भविष्य में अपने व्यवहार में बदलाव भी कर सकता है।