उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी आवाज बुलंद की है और ऐसे में मधेसियों की पीड़ा को भी संयुक्त राष्ट्र को महसूस करना होगा। उन्होंने सरकार को दो टूक कहा कि जब तक समस्या का समाधान नहीं होगा उनकी नाकाबंदी जारी रहेगी और इसके लिए वह भारत को जिम्मेदार न ठहराएं। उन्होंने कहा कि आंदोलन से भारत का कोई लेना-देना नहीं है।
नेपाल में झापा से कंचनपुर तक मधेस प्रदेश स्थापना की मांग को लेकर दो माह पूर्व आंदोलन ने गति पकड़ी था। इस दौर में आंदोलन खूनी संघर्ष से गुजरा और 50 से अधिक लोगों की मौत हुई। इनमें पुलिस अधिकारी भी शामिल थे। अब आंदोलनकारियों ने भारत सीमा से सटे इलाकों में नाकाबंदी कर खाद्यान्न और पेट्रोलियम पदार्थ के वाहनों को नेपाल में प्रवेश करने से रोक दिया है, जिसके चलते नेपाल खाद्यान्न और पेट्रोलियम संकट के दौर से गुजर रहा है।
वहीं आंदोलनकारियों की समस्या हल करने के बजाय नेपाल सरकार ने नाकाबंदी के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए यूएन में आवाज उठाई है। इस मामले में मधेस प्रदेश स्थापना की मांग कर रहे संयुक्त तराई थारुहट मधेस संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि वे सरकार के इस कदम से दुखी हैं।
समिति के प्रवक्ता व तराई मधेस लोकतांत्रित पार्टी के केंद्रीय सदस्य पशुपति दयाल मिश्र का कहना था कि 150 वर्ष पूर्व राजशाही के दौरान राणा शासन और अंग्रेजों में समझौता हुआ था। उसके तहत बलरामपुर स्टेट का भूभाग नेपाल को सौंप दिया गया था। तभी से हम लोग नेपाल के नागरिक हो गए। नागरिकता भी हासिल हुई।
मिश्र ने कहा कि ऐसे में अलग मधेस प्रदेश की स्थापना की मांग करना गुनाह नहीं है। हम मूलभूत सुविधाओं के लिए अपना अधिकार मांग रहे हैं। ऐसे में नेपाल सरकार भारत को निशाना बनाकर हमारे आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है।
सरकार चाहती है कि उसके इस कदम से आंदोलन से ध्यान हट जाए, लेकिन ऐसा नहीं होगा। संघर्ष समिति के सचिव व नेपाल उद्योग वाणिज्य संघ के ललित रौनियार भी नेपाल सरकार के कदम से दुखी दिखे।
उन्होंने कहा, “आंदोलन से नेपाल को अरबों का नुकसान हुआ है। लेकिन हमें अपने अधिकार और हक के लिए आवाज बुलंद करने का हक है। अगर हम आवाज नहीं उठा सकते तो फिर कैसा लोकतंत्र। इससे ठीक तो राजशाही ही थी।”
तराई मधेस लोकतांत्रिक पार्टी के सदस्य व सद्भावना पार्टी गजेंद्र गुट के जिलाध्यक्ष राजकिशोर मिश्रा ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, नाकाबंदी चलेगी। ऐसे में भारत पर आरोप मढ़ना सरासर गलत है। नेपाल सरकार के इशारे पर पुलिस आंदोलनकारियों का दमन कर रही है। हम किसी भी कीमत पर नाकाबंदी खत्म नहीं करेंगे।
संगठन के केंद्रीय सदस्य गिरिजा प्रसाद ने भी नेपाल पुलिस पर आंदोलनकारियों को घर से निकालकर फर्जी मामलों में फंसाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार ने भारत के खिलाफ यूएन में जो आवाज उठाई है, वह सरकार की खीझ दशार्ती है।
संघर्ष समिति के संयोजक विजय गुप्ता ने कहा कि सरकार का कदम अपने नागरिकों की समस्या हल करने की ओर उठना चाहिए। लेकिन विडंबना है कि सरकार आंदोलन को दूसरी तरफ मोड़ने की कोशिश कर रही है।