रोजर्स ने कहा, “रेशम मार्ग शांति, व्यापार और वैचारिक तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए प्रसिद्ध था। मार्को पोलो के नाम के साथ आपने कभी संघर्ष की बात नहीं सुनी होगी। वह सिर्फ आदान-प्रदान था।”
उन्होंने कहा, “आज की सिल्क रोड परियोजना (जिसे वन बेल्ट वन रोड परियोजना भी कहते हैं) की भी यही सोच है – चीन का दक्षिणी देशों के साथ विचार और ज्ञान का आदान-प्रदान और व्यापार।”
वैश्विक दक्षिण से तात्पर्य विकासशील देशों से है, जिनकी संख्या 193 देशों वाले संयुक्त राष्ट्र में 134 है। ये देश मुख्यत: एशिया, मध्य और दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में हैं।
बेल्ट एंड रोड मार्ग एशिया, यूरोप और अफ्रीका से होकर गुजरता है, जो एक ओर पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं और दूसरी ओर विकसित यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ता है।
सिल्क रोड इकॉनॉमिक बेल्ट की परिकल्पना सबसे पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने कजाकिस्तान दौरे के समय सितंबर 2013 में पेश की थी।
रोजर्स ने साक्षात्कार में ये बातें संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र की सालाना महासभा के बाद कही है, जिसमें शी जिनपिंग ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए चीन के सहयोग पर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं।
महासभा में 28 सितंबर को शी जिनपिंग ने कहा था कि चीन अन्य विकासशील देशों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा।
रोजर्स ने कहा कि शी की इन बातों का विकासशील देशों ने स्वागत किया।
उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से इसका स्वागत किया गया।” महासभा में 150 देशों के सरकार प्रमुख और 50 से अधिक मंत्री पहुंचे थे। उन्होंने कहा, “कई साल से चीन दक्षिण-दक्षिण का महत्वपूर्ण साझेदार है।”