इंदौर, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। समाज में ऐसे लोगकम ही होते है जो मरने के बाद दूसरों के काम आते हैं। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के रामेश्वर खेड़े (40) उन विरले लोगों में से है जो मर कर भी तीन लोगों को जीवनदान दे गए।
इंदौर, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। समाज में ऐसे लोगकम ही होते है जो मरने के बाद दूसरों के काम आते हैं। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के रामेश्वर खेड़े (40) उन विरले लोगों में से है जो मर कर भी तीन लोगों को जीवनदान दे गए।
खरगोन जिले के भगवानपुरा तहसील के बलवाड़ी गांव में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले रामेश्वर सड़क हादसे में सोमवार को गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उपचार के लिए उन्हें इंदौर के चौइथराम अस्पताल लाया गया, जहां मंगलवार रात उन्हें ‘ब्रेन डेड’ घोषित कर दिया गया।
अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, चिकित्सकों ने रामेश्वर के परिजनों को बताया कि उनके मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया है, मगर शरीर के अंग काम कर रहे हैं और इस स्थिति में रामेश्वर के अंग किसी और के काम आ सकते हैं। रामेश्वर के भाइयों- भगवान, जयंत और पत्नी किरण ने इसकी स्वीकृति दे दी।
चौइथराम अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. अमित भट्ट ने आईएएनएस को बताया कि रामेश्वर के लिवर को बुधवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल ले जाकर एक व्यक्ति को प्रत्यारोपित कर दिया गया, वहीं गुर्दे खंडवा के शारदा और भोपाल के संजीव जॉन के काम आए। इस तरह रामेश्वर ने मरकर भी तीन लोगों को जीवन दान दिया है।
मंगलवार रात रामेश्वर के ब्रेन डेड होने और अंगदान के लिए परिवार की सहमति के बाद लिवर और गुर्दे के उपयोग के प्रयास किए गए। चौइथराम अस्पताल के चिकित्सक डॉ. प्रदीप सालरिया ने संभागायुक्त संजय दुबे को इस स्थिति से अवगत कराया।
मेदांता अस्पताल से जानकारी मिली कि एक महिला लिवर प्रत्यारोपण के इंतजार में है। लिवर को इंदौर से गुड़गांव लाना आसान काम नहीं था, क्योंकि लिवर को शरीर से अलग करने के बाद ज्यादा देर तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता।
रामेश्वर के शरीर से अलग किए गए लिवर को गुड़गांव भेजने के लिए अस्पताल से लेकर एयरपोर्ट तक के रास्ते को ‘ग्रीन कॉरीडोर’ में तब्दील कर दिया गया और इसके तहत आठ मिनट के लिए 13 किलोमीटर के रास्ते को खाली करा दिया गया। अस्पताल से देवी अहिल्याबाई हवाईअड्डे तक एम्बुलेंस से विशेष बॉक्स में पहुंचे लिवर को जेट एयरवेज के विमान से दिल्ली और फिर वहां से गुड़गांव ले जाया गया जहां उसे एक महिला के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया गया।
डॉ. भट्ट के अनुसार, रामेश्वर के लिवर मेदांता अस्पताल में महिला को और गुर्दे दो मरीजों को चौइथराम अस्पताल में प्रत्यारोपित किए गए हैं। इस तरह रामेश्वर ने मरने के बाद भी तीन लोगों को जीवन दान दे दिया।
रामेश्वर के परिजनों को इस बात का संतोष है कि वह भले ही उनसे दूर चला गया हो, मगर उसके अंगों ने दूसरों को जीवन दे दिया।