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 मप्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लामबंदी | dharmpath.com

Tuesday , 10 June 2025

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मप्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लामबंदी

भोपाल, 10 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार की उद्योगपरस्त नीतियों के खिलाफ कई संगठन लामबंद हो गए हैं और वे प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत 11 जनवरी से ‘जनाधिकार यात्रा’ की शुरुआत करने जा रहे हैं। इन संगठनों ने सरकार को खेती और किसान विरोधी करार दिया है।

भोपाल, 10 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार की उद्योगपरस्त नीतियों के खिलाफ कई संगठन लामबंद हो गए हैं और वे प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत 11 जनवरी से ‘जनाधिकार यात्रा’ की शुरुआत करने जा रहे हैं। इन संगठनों ने सरकार को खेती और किसान विरोधी करार दिया है।

दूसरी ओर राज्य सरकार का दावा है कि औद्योगिक विकास के लिए वह लगातार प्रयासरत है और तमाम निवेशकों को रियायतें दे रही है। देसी ही नहीं, विदेशी निवेशकों को लुभाने में भी सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इतना ही नहीं, खेती को फायदे का धंधा बनाने के प्रयासों के बीच औद्योगिक विकास का जोर-शोर से प्रचार जारी है। सरकार की इन कोशिशों पर मगर कई संगठनों ने सवाल उठाए हैं।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के प्रदेश सचिव बादल सरोज का कहना है कि सरकार की नीतियों के कारण खेती फायदे का धंधा बनने की बजाय ‘अलाभकारी’ होती जा रही है। किसानों के भविष्य और वर्तमान को चौपट किया जा रहा है। यही कारण है कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जनाधिकार यात्रा शुरू की जा रही है।

सरोज का कहना है कि राज्य सरकार बात तो किसानों और गरीब की करती है, मगर वास्तव में वह अडानी और अंबानी की सीईओ (मुख्य कार्यपालन अधिकारी) है। यही कारण है कि सरकार प्रदेश के बड़े हिस्से में किसानों की उपजाऊ जमीन इन्हें सौंप रही है।

वहीं, नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर का कहना है कि कथित भूमि अधिग्रहण कानून के नाम पर हजारों एकड़ भूमि औद्योगिक घरानों को सौंपी जा रही है। वे जलस्रोतों पर कब्जा कर रहे हैं और पीढ़ियों से काबिज परिवारों को पुनर्वास के बगैर ही विस्थापित किया जा रहा है।

किसान संघर्ष समिति के डॉ. सुनीलम का कहना है कि केंद्र हो या राज्य सरकार, दोनों ही सरकारें उद्योगपतियों के लिए काम कर रही है। किसान समस्याओं से घिरता जा रहा है, आत्महत्याएं कर रहा है, मगर सरकार को इसकी परवाह नहीं है।

छिंदवाड़ा से शुरू होने वाली जनाधिकार यात्रा में नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर, किसान संघर्ष समिति के डॉ. सुनीलम, माकपा राज्य सचिव बादल सरोज, किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष जसविंदर सिंह, महासचिव रामनारायण कुररिया, एनएपीएम की शबनम, किसान संघर्ष समिति की आराधना भार्गव, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के मनीष श्रीवास्तव सहित अनेक नेता शामिल होंगे।

सरोज ने बताया कि जनाधिकार यात्रा 11 जनवरी को छिंदवाड़ा के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद 12 को मुलताई तथा इटारसी, 13 को कटनी एवं जबलपुर, 14 को सीधी, 15 को रीवा एवं सतना, 16 को मुरैना के चम्बल, 17 को ग्वालियर, 18 को बड़वानी और 19 को धार होते हुए इंदौर में पहुंचकर संपन्न होगी।

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