बेंगलुरू, 11 जून (आईएएनएस)। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की लगभग एक दर्जन अग्रणी कंपनियों ने शुक्रवार को कर्मचारियों की शिकायतों के निवारण के लिए औद्योगिक विवाद कानून 1947 के तहत श्रमिक यूनियन के गठन के अधिकार की जानकारी होने या पुष्टि करने से इनकार कर दिया।
कुछ आईटी कंपनियों ने जिन्होंने इस पर अपना मुंह नहीं खोला, वे हैं -इंफोसिस, विप्रो, टीसीएस, फ्लिपकार्ट, माइक्रोसॉफ्ट, एमफासिस, जुनिपर और अमेजॉन इंडिया।
आईटी कर्मियों के कर्मचारी यूनियन बनाने के अधिकार का मामला तब उठा, जब तमिलनाडु के श्रम एवं नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव कुमार जयंत ने न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट (एनडीएलफ) आईटी इंप्लाइज विंग को स्पष्ट किया कि जैसा गुरुवार को एक प्रमुख दैनिक ने इस बारे में खबर प्रकाशित की है, कामगार कर्मचारी यूनियन गठित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
जयंत के मुताबिक, कोई भी कंपनी औद्योगिक विवाद कानून 1947 से छूट का दावा नहीं कर सकती और आईटी कंपनियां भी दूसरी कंपनियों की तरह ही उन्हीं प्रावधानों से संचालित होती हैं।
आईटी कंपनियां लाखों की संख्या में लोगों को भारत और विदेश में विभिन्न स्थानों पर नौकरी पर रखती हैं। वे इसका खुलासा नहीं करतीं कि उनके कर्मचारियों की बनाई कोई यूनियन वजूद में है या नहीं।
इन कंपनियों ने इस पर भी कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या वे औद्योगिक विवाद कानून 1947 के तहत कर्मचारियों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए कर्मचारी संघ बनाने के विचार का स्वागत करेंगी?
मजे की बात यह है कि बहुत सारी कंपनियां अपने कर्मचारियों से यह लिखित में ले रही हैं कि वे ट्रेड यूनियन की गतिविधियों से दूर रहेंगे। इसके बारे में जब पूछा गया तो इसकी भी उन्होंने न तो पुष्टि की और न ही जानकारी होने की बात स्वीकार की।
हालांकि, प्रमुख आईटी कंपनियों का यह रुख कई अटकलों एवं संदेहों को जन्म दे रहा है, जैसे क्या उनमें कभी कर्मचारी संघ रह सकता है?
हाल में कई आईटी एवं ई-कामर्स कंपनियों को प्रमुख भारतीय कॉलेजों से पास हुए सैकड़ों युवाओं को पहले नौकरी का प्रस्ताव देने और फिर उन्हें नौकरी नहीं देने को लेकर भारी आलोचना का सामना करना पड़ा है। ऐसी कंपनियों में फ्लिपकार्ट विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
भारत में कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए चाहे कोई भी उद्योग हो, वहां कर्मचारी यूनियन हैं।
ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन(एआईबीईए) एक मशहूर कर्मचारी यूनियन है, जो अपने लाखों कर्मचारियों के अधिकारों एवं उनके हितों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग के संचालन को पंगु बना देती है।
पिछले साल जनवरी में टीसीएस की एक कर्मचारी ने मद्रास उच्च न्यायालय से अपील की थी औद्योगिक विवाद कानून 1947 के तहत उसकी बर्खास्तगी पर रोक लगाए।
हैदराबाद स्थित सॉफ्टवेयर इंजीनियर श्रीनू ने कहा, “अधिकतर आईटी कर्मचारी यूनियन बनाने के लिए आगे नहीं आते, क्योंकि उन्हें डर है कि पूरा आईटी उद्योग उन्हें जीवन भर के लिए काली सूची में डालकर अलग कर देगा। उनका ब्योरा नासकॉम के सदस्यों और डाटाबेस में भेज दिया जाएगा। यही कारण है कि आप आईटी कर्मचारी यूनियन नहीं पाएंगे।”
अपना पूरा नाम बताने से इनकार करने वाले श्रीनू ने कहा, “60 से 80 फीसदी कर्मचारी आईटी कर्मचारी यूनियन में शामिल होने को तैयार हैं, बशर्ते वे सफलतापूर्वक गठित हो जाएं। लेकिन यूनियन बनाने के लिए कोई भी आगे नहीं आएगा। क्योंकि वे उसके बाद के परिणाम को लेकर डरे हुए हैं।”