अनिल सिंह ग्वालियर से लौट कर
प्रगति विद्या पीठ स्कूल जो ग्वालियर के मिलट्री एरिया में स्थित है में सत्ता पक्ष के नेताओं की चमक-दमक अलग ही छटा बिखेर रही थी.बाहर सुरक्षाकर्मियों का विस्तृत घेरा और महंगी गाड़ियों का आवागमन सत्ता के ऐश्वर्य को बिखेर रहा था .ग्वालियर के राजमहल के सम्मुख ऐश्वर्य के प्रतीक दो हाथी विराजमान है यहाँ धवल वाहन उस ऐश्वर्य का प्रतीक बने हुए थे .फर्क सिर्फ राजघराने एवं लोकतंत्र के राजाओं में इतना दिखाई दिया वह यह की सत्ता स्थान्तरित हो गयी.
कार्यसमिति का मुख्य घोषित उद्देश्य गरीबी हटाना,गरीबों के लिए सेवा कार्य दीनदयाल शताब्दी वर्ष में संगठन द्वारा बूथ स्तर तक संचालित करना है और इस हेतु मंथन इस कार्यसमिति में हुआ.बड़े आलिशान होटल एम्बिएन्स के आलिशान रजवाड़े कमरों में विहार कर इन सताधीशों ने इन सब पर विचार किया .मैं घूम-घूम कर पूछता रहा राज्य एवं राष्ट्र के इन कर्णधारों से की क्या आपके अध्यक्ष के कहे अनुसार आप सेवा कार्य करेंगे,क्या आपके कलफ लगे कुरते उस गरीब की दुर्दशा दूर कर पायेंगे या अभी तक जैसा चल रहा है वैसा ही चलेगा गरीब के खून से चढ़े कलफ से कुरते की सलवटें और कड़क होती जायेंगी लेकिन उत्तर की जगह सिर्फ मुस्कराहट होती थी और यह की जो कहा जा रहा उसे सुनो इधर उधर की बातों पर ध्यान ना दो.
विकास तो हुआ यह परिलक्षित हो रहा था जिस विद्यालय में कार्यक्रम था .लोगों ने बताया की इस विद्यालय का मालिक 10 वर्षों पूर्व एक छोटे से कमरे में कोचिग सेंटर चलाता था आज यह अरबों की इस संपत्ति का मालिक है इसलिए विकास तो हमें परिलक्षित हुआ लेकिन इस विकास के पीछे क्या कीमतें अदा की जा रही थीं वह देखने को मिला मैं टहलते-टहलते मुख्य द्वार के सामने आ गया यहाँ आवागमन की धूल फांक रहे पुलिसकर्मी गर्मी से परेशान थे और उनका पारा चढ़ा हुआ था पसीने से लथपथ वे सामान्य बात भी स्वीकार करने से पूर्व एक झिडकी दे ही देते थे वहीँ बेरीकेट्स के पास मुझे कचरा-गाडी से खेलता मिला नौनिहाल “राम”.कक्षा दूसरी के इस विद्यार्थी से मैंने पूछा इतनी धूप में यहाँ क्या कर रहे हो,उसने उत्तर दिया अपना स्कूल देख रहा हूँ यहाँ कोई पार्टी का मेला लगा है मैं 4 दिनों से बोर हो रहा हूँ स्कूल बंद है,इसलिए देखने आया हूँ स्कूल लेकिन पुलिस अंकल कह रहे यहीं से देखो अन्दर नहीं जाना यह कहते हुए वह “राम” कचरा गाडी से खेलने में मशगूल हो गया.पूरी कार्यसमिति देखने और सुनने के बाद मुझे यह मासूम “राम ” कार्यकर्ता के रूप में नजर आया जिसे सत्ता हाथ में आते ही कुछ कलफदार अपने से दूर कर देते हैं और पुनः चुनाव आने के पहले स्कूल के नए सेशन की तरह स्वागत करते हैं.
वर्ष 2018 के चुनाव की चिंता में भाजपा के दिग्गजों को अभी से चिंता में डाल दिया है ,प्रशासन की नाफरमानियों,अपने नेताओं की अंतर्कलह ,कार्यकर्ताओं की पूछ-परख नहीं होने से बनी दूरियों ने भाजपा के दिग्गजों की नींद उड़ा रखी है.इसी कसावट को अमली जामा पहनाने के लिए भाजपा के दिग्गज इस कार्यसमिति में एकत्र हुए थे.सेवा प्रकल्पों के माध्यम से सेवा कार्यों को बूथ स्तर तक ले जाने की योजना देखना है कितनी कारगर सिद्द होती है लेकिन कार्यकर्ताओं को सत्ता सुख से अभी भी दूर रख उसे लोलीपोप सेवा की पकडाई जा रही है.कार्यकर्ता को संगठन के प्रति कर्मठता का भावनात्मक प्रलोभन दे कर पुनः लुभाया जाएगा उसके बाद शायद चुनाव में जीतने के बाद पुनः हमेशा की तरह भुला दिया जाएगा.कुछ बुजुर्ग पदाधिकारियों ने बताया की सत्ता के विकेंद्रीकरण के स्थान पर सत्ता का केन्द्रीकरण कर दिया गया है इस वजह से कार्यकर्ता अपने आप को संगठन से दूर महसूस कर रहा है .रघुनन्दन शर्मा जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी मुख्यमंत्री का मजाक उड़ाते देते गए एक जगह मैंने सुना उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री द्वारा अपने ज्ञान एवं अपने मार्गदर्शन के लिए उनका भाषण सुनने जा रहा हूँ .शर्मा का यह व्यंग जो शिवराज सिंह से खिलाफ था भाजपा की अंतर्कलह एवं विनय सहस्त्रबुद्धे द्वारा यह तंज कसा जाना की तंत्र जब मन्त्र पर हावी हो जाता है भाजपा की अंतर्स्थिति को प्रगट करने के लिए पर्याप्त है.
इस कार्यसमिति में जिस घट का मंथन हुआ उसमें विष ही विष भरा था अतः अमृत कहीं से निकलता दिखलाई नहीं पड़ा.शिवराज सिंह के भाषण का सभी को इन्तजार था लेकिन अपने एक घंटे से ऊपर के मैराथन भाषण में मुख्यमंत्री का किरदार शिवराज सिंह का कहीं दृष्टिगोचर नहीं हुआ.उनके भाषण के अंश उनके प्रत्येक भाषणों में सुने जा चुके है उनका भाषण एकात्म मानववाद पर आधारित रहा जिसे लोग सत्ता के केन्द्रीकरण से जोड़ चुटकियाँ लेते और बाकी समय झपकियाँ लेते नजर आये.इस महत्वपूर्ण भाषण में लगा की शिवराज सिंह के पास अब कहने या करने को कुछ बचा नहीं है.
कैलाश विजयवर्गीय का शिवराज सिंह के आने के पूर्व ही कार्यसमिति से चले जाना ठीक संकेत नहीं था ,बाबूलाल गौर,प्रभात झा जैसे मीडिया के पसंदीदा किरदार भी चुप ही रहे.यह शान्ति आने वाले तूफ़ान का संकेत प्रदर्शित करती है .
नरेंद्र सिंह तोमर इस कार्यसमिति में अपने कद को और मजबूत कर उभर कर सामने आये उनकी शांत कार्यशैली ने मप्र की राजनीती में उनका स्थान और मजबूत किया उसके संकेत इस कार्यसमिति में देखने को मिले .
पूरे मंथन में नौनिहाल राम कार्यकर्ता का रूप धरे नजर आया और स्कूल सत्ता का .