(खुसुर-फुसुर)– मप्र भाजपा के एक स्वयंभू बड़े नेताजी ने एक लिखावट लिखी थी जिसके चलते भाजपा आलाकमान ने उन्हें दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था .नेताजी ने अपने आका से जो मालवा के हैं से पुरजोर सिफारिश करवाई इन आका जी को भी कई दफे फ़ोन करना पडा इनकी बहाली के लिए एवं माफीनामा देने के बाद ये सज्जन बहाल हुए लेकिन रस्सी जल जाए पर ऐठन नहीं जाय के चलते ज्यों हो प्रधानमन्त्री जी ने नोट बंद होने की घोषणा की अगले दिन इन्होने अपनी सरल आदत अनुसार पुनः भाजपा कार्यालय में मोदी जी को जी भर के अपशब्द कहे.खुसुर-फुसुर तो यह भी है की महोदय को लम्बी चपत लगी है .
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