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बुंदेलखंड : किसानों ने जंगलों में छोड़े मवेशी

January 8, 2016 8:19 pm by: Category: featured, फीचर Comments Off on बुंदेलखंड : किसानों ने जंगलों में छोड़े मवेशी A+ / A-

संदीप पौराणिक 

images (4)भोपाल, 8 जनवरी (आईएएनएस)| बुंदेलखंड एक बार फिर सूखे की मार से दो-चार हो रहा है। खेत वीरान पड़े हैं और मवेशियों को खाने के लिए चारा भी आसानी से नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि किसान मवेशियों को घर पर रखने की बजाय जंगलों में छोड़ रहे हैं, ताकि उन्हें पेट भरने के लिए कुछ तो मिल सके।

इस इलाके के जंगलों में जाएं तो मशेवियों की मौजूदगी इस बात का खुलासा कर देती है कि मवेशी अब घरों के स्थान पर जंगलों की शरण में है।

बुंदेलखंड मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 13 जिलों को मिलाकर बनता है, लेकिन हालात एक समान है। एक तरफ वर्षा कम हुई है और दूसरी ओर पैदावार भी काफी कम हुई है। इन हालात ने इस क्षेत्र के किसानों की जिंदगी को मुसीबतों से भर दिया है। किसान तो पलायन कर अपना पेट भरने का इंतजाम करने की तैयारी कर रहे हैं, मगर उनके सामने बड़ी समस्या मवेशियों का पेट भरने की हैं।

टीकमगढ़ जिले के मस्तापुर निवासी गुलाब विश्वकर्मा सूखा के चलते पैदा हुए हालात की चर्चा करते हुए कहते हैं कि वर्षा कम होने से फसल पूरी तरह चौपट हो गई, गेहूं की बुवाई नहीं हो पाई है। आने वाले समय में उन्हें दाने-दाने को मोहताज होना पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर मवेशियों के लिए चारा नहीं है। इस स्थिति में उनके लिए मवेशियों का पेट भर पाना मुश्किल होगा।

उन्होंने आगे बताया कि मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध न होने की स्थिति में उनके पास सिर्फ एक ही रास्ता बचता है और वह है मवेशियों को जंगल की ओर छोड़ा जाए, ताकि उन्हें वहां खाने के लिए कुछ तो मिल सकेगा और पानी के स्रोत तक भी वे पहुंच सकेंगे और मवेशियों की जान बच जाएगी।

इसी गांव के किसान शिवराज चढार बताते हैं कि उन्होंने बीते डेढ़ दशकों में ऐसा सूखा नहीं देखा है। यह बात सही है कि सूखा इस इलाके की नियति बन चुका है, मगर इस बार हालात ज्यादा ही खराब हैं। इतना ही नहीं, आने वाले साल में संकट और गहराना तय है जो अभी से डरा रहा है।

खेतों में दाना पैदा होना तो छोड़िए, मवेशी को खिलाने के लिए चारा तक नसीब नहीं हुआ है। यहां खेती के साथ पशुधन जीवन चलाने में मदद करता है, मगर इस बार मवेशी को बचाना भी मुश्किल हो गया है। घरों में रखकर उन्हीं मवेशियों को चारा खिला पा रहे हैं, जो दूध दे रहे हैं।

वहीं महोबा जिले के चौका गांव में दयाशंकर कौशिक एक गौशाला का संचालन करते हैं। इस गौशाला में तीन सौ से ज्यादा गाय हैं, ये वैसी गाय हैं जो परित्यक्त हैं और कसाइयों से छुड़ाई गई हैं।

कौशिक बताते हैं कि उनके लिए राशि खर्च करने के बाद भी चारे का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है। कहीं भी चारा नहीं मिल रहा है, उनके लिए तो धर्म संकट की स्थिति खड़ी हो गई है कि आखिर वे अब क्या करें। शासन और प्रशासन भी उनकी मदद को तैयार नहीं है।

बुंदेलखंड आपदा निवारण मंच के संयोजक डॉ. संजय सिंह का कहना है कि इस क्षेत्र में आय का मुख्य जरिया खेती है और उसमें सहायक पशु पालन हैं। मवेशियों के जंगल में छोड़ने से इस क्षेत्र के पशुधन विहीन होने का खतरा मंडराने का अंदेशा है, क्योंकि आगामी वर्ष में बारिश अच्छी होने और सरकारों के प्रयास से खेती को सुधार लिया जाएगा, मगर पशुधन को कैसे समृद्ध किया जाएगा, यह बड़ा सवाल है।

बुंदेलखंड के मध्य प्रदेश में आने वाले छह जिले सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ और दतिया के अलावा उत्तर प्रदेश के सात जिलों- झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा, महोबा और चित्रकूट में कमोवेश एक जैसे हालात हैं। वर्षा कम होने से खेती बुरी स्थिति में है। जलस्रोत अभी से सूख चले हैं। लोग पलायन को मजबूर हैं, मगर दोनों राज्यों की सरकारों ने अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की है।

बुंदेलखंड : किसानों ने जंगलों में छोड़े मवेशी Reviewed by on . संदीप पौराणिक  भोपाल, 8 जनवरी (आईएएनएस)| बुंदेलखंड एक बार फिर सूखे की मार से दो-चार हो रहा है। खेत वीरान पड़े हैं और मवेशियों को खाने के लिए चारा भी आसानी से नह संदीप पौराणिक  भोपाल, 8 जनवरी (आईएएनएस)| बुंदेलखंड एक बार फिर सूखे की मार से दो-चार हो रहा है। खेत वीरान पड़े हैं और मवेशियों को खाने के लिए चारा भी आसानी से नह Rating: 0
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