एक अजीब सी समानता आती हुई दिख रही है व्यापम (Vyapam) और प्याज के अंदर, जिस तरह प्याज के अंदर बहुत सी तहें होती हैं, कुछ उसी प्रकार व्यापम का घोटाला होता जा रहा है।
इन तहों को निकालना चाहते कुछ लोग शायद इनमे उलझे से जा रहे हैं। चालीस 40 + मौतों से बना हुआ ये प्याज अभी भी पता नहीं कितनी तहें अंदर तक जायेगा। चाहे वो नम्रता डामोर की हत्या हो, या अक्षय सिंह पत्रकार की, या फिर गवर्नर साहेब के पुत्र शैलेश यादव। इन सबकी मौत बस इसी घोटाले की तहों की तरह उतरती जा रही हैं। और मुझे अपने राज नेताओं पर भरोसा है कि अंत में इस व्यापम के भीतर भी प्याज की तरह सिवाए आंसू के और कुछ नहीं मिलेगा। एक बहुत बढ़ा प्रश्न-चिन्ह लगता है ये घोटाला, 284 के आंकड़े और हमारे “देश नहीं झुकने दूंगा, देश नहीं मिटने दूंगा” के खोखले अभ्यान पर!
एक दरखास्त सबसे करना चाहता हूँ, अगली बार किसी नारे या शकल पर वोट मत डालना।
नवनीत जी के ब्लॉग से