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मप्र:मुख्यमंत्री “समन्वय”पर अटकीं हैं मासूम परी शर्मा की जीवन डोर

February 26, 2017 8:52 pm by: Category: भारत Comments Off on मप्र:मुख्यमंत्री “समन्वय”पर अटकीं हैं मासूम परी शर्मा की जीवन डोर A+ / A-

                             ” यहाँ तो सभी परेशान आते हैं इतना बड़ा विभाग है किसकी सुनें “

 

ये उदगार हैं मप्र के स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह के सचिव के के खरे के.जब हम विशाल बंगले के लॉन को पार कर मंत्री आवास सह कार्यालय तक पहुंचे तब मंत्री जी अपनी महंगी निजी एसयूवी में चालाक सीट पर सीट बेल्ट लगाए नियम क़ानून का पालन करते हुए कहीं निकलने की जल्दी में थे.गनमेन किसी को उस शानदार कार ने नजदीक भी फटकने नहीं दे रहा था .

एक तरफ कोने में मंत्री जी के रुतबे से आच्छादित दो व्यक्ति हाथ बांधे खड़े थे और मंत्री जी शायद कुछ दया-दृष्टि कर दें इस आशा में टुकुर-टुकुर ताक रहे थे.इन दोनों में एक थे दोनों किडनी खराब डेढ़ वर्ष की नौनिहाल परी शर्मा के नाना रामविलास शर्मा एवं उनके गृह जिले राजगढ़ के भाजपा कार्यकर्ता जो रामविलास शर्मा की करूण स्थिति देख राजधानी में उनके सहयोगी बन मंत्री जी के आलिशान बंगले पर उम्मीदों से आये थे एवं आवेदन के पुलिंदों में विधायक राजगढ़ एवं सांसद राजगढ़ का पत्र भी बोझ बढ़ा रहा था और इन्हें अपनी सत्ताधारी पार्टी एवं उसकी सेवा का गुरूर भी था लेकिन जैसे ही मंत्री जी आश्वासन दे  बंगले से बाहर निकले वह गुरूर भी चीथड़े-चीथड़े होता मुझे दिखा.जाते-जाते मंत्री जी कह गए की आवेदन को मुख्यमंत्री के कार्यालय “समन्वय ” में भेज दिया जाएगा और जितना वे कर सकते थे की इतिश्री कर निकल गए.

डेढ़ वर्ष की परी शर्मा की दोनों किडनी खराब हैं .

पमासूम परी शर्मा पुत्री गरिमा शर्मा की दोनों किडनी खराब हैं और यह बच्ची डायलिसिस पर जीवन जी रही है .मासूम को तो पता नहीं की उसे क्या हुआ लेकिन शासकीय शिक्षक उसकी माँ का ह्रदय यह मानने को तैयार नहीं की वह अपनी परी को खो देगी.माँ परी के इलाज के लिए भरसक प्रयास कर रही है .

परी की माँ एक वर्ष से अवैतनिक अवकाश पर है 

चूंकि परी की दोनों किडनी खराब हैं एवं उसका नियमित डायलिसिस होता है इस वजह से उसकी माँ जिस तहसील कार्यालय में पदस्थ है वहां उसे कार्य करना कठिन हो जाता है एवं रोजी-रोटी का चक्कर उसे नौकरी छोड़ने की इजाजत नहीं देता.इस वजह से परी की माँ एक वर्ष से अवैतनिक अवकाश पर है .इलाज के भारी खर्च की वजह से अब आर्थिक स्थिति भी डगमगाने की स्थिति से आगे बढ़ ध्वस्त हो चुकी है.

सत्ताधीशों की गलत नीतियों का फल भुगत रही मासूम 

यदि मानवता की दृष्टि से देखा जाय तो उपरोक्त प्रकरण में परी की माँ की उसके गृह-नगर में पदस्थापना कोई कठिन कार्य नहीं है लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में शक्ति के विकेंद्रीकरण के स्थान पर केन्द्रीकरण ने जनता को खून के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया है.जिन्हें मत दे कर सेवा के लिए जिताया वे विधायक ,सांसद एवं मंत्री सिर्फ कागज़ आगे बढ़ा कर सर नीचे-झुका अपने कर्तव्य से शर्मिदा को अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेते हैं एवं जिनके धन पर ये ऐश कर रहे हैं वह जनता अपनी पीडाओं को सहन करती इन्हें कोसती रहती है .

एक शिक्षक के स्थानातरण के लिए मुख्यमंत्री का “समन्वय” विभाग 

यह दुर्दिन ही कहा जाएगा की एक शिक्षक को अपनी परिस्थिति बयान करते हुए उन कागजों के भार को ढोते हुए 150 किमी आना पड़ा और उत्तर में वही ढाक के तीन पात.यदि स्थानान्तरण मुख्यमंत्री कार्यालय से ही होना है और जिसकी कोई जरूरत ही नहीं और उसका भी कोई पक्का आश्वासन देने वाला नहीं तब ऐसे कानून और सत्ता का अभिप्राय क्या ?मानवता के साथ खिलवाड़ करता यह नियम आखिर सत्ता में बैठे इन आधुनिक राजाओं को क्या दिख नहीं रहा?

क्या बोले मंत्री विजय शाह ?

Vijay-Shahमंत्री जी ने स्पष्ट कहा की मेरे अधिकार क्षेत्र से यह बाहर है ,मैं देख रहा हूँ की यह दर्दनाक परिस्थिति से जूझ रही हैं लेकिन मैं बस यही कर सकता हूँ की माननीय मुख्यमंत्री जी के “समन्वय” विभाग में इसे भेज सकता हूँ जो मैं कर रहा हूँ.

लोकतंत्र क्या जनहित में है ?

व्यवस्थाये परिवर्तित होते हुए इतिहास ने देखा है राजशाही को बुरा बता उसका अंत ,तानाशाही व्यवस्था भी नहीं चली अब लोकतंत्र लेकिन क्या परी शर्मा का जीवन लोकतंत्र के हितकारक होने का उदाहरण है .उस माँ की सोचिये ,उन परिजनों की स्थिति क्या होगी जिनकी साँसें  इस मासूम की निश्चल हंसी के इर्द-गिर्द घूमती हैं.क्या यही लोकतंत्र है क्या यही सबका साथ सबका विकास है ?6 महीने तो सिर्फ परी की माँ को हो गए आवेदन लिखवाते और नेताओं के दर पर माथा पीटते.आखिर जनहित के बड़े-बड़े दावे कर चुनाव जीतने वाले नेता क्या यही हित करते हैं जनता का यह चिंतनीय विषय है .

लाल-बत्ती,बंगला,भत्ता ,रसूख के क्या हकदार है नेता ?

परी-शर्मा एक उदाहरण है इस खोखली व्यवस्था का.नदी का दोहन,मर्दन होने के बाद उसका शुद्धिकरण करने का प्रयास,ह्त्या होने के बाद शव पर मुआवजा देने की राजनीती क्या परी-शर्मा को बचा पाएगी या सत्ता के मद में चूर उसकी दुर्दशा पर अट्टाहास करेगी.

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