न्यूयार्क/नई दिल्ली, 26 सितम्बर (आईएएनएस)। एक स्मृति चिह्न् पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑटोग्राफ को लेकर विवाद पैदा हो गया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने जहां इसे भारतीय राष्ट्र ध्वज तिरंगा पर ऑटोग्राफ करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है, वहीं केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ एक स्मृति चिह्न् था, तिरंगा नहीं। फिर भी इस कलाकृति को समीक्षा के लिए लिया गया है।
‘स्माइल फाउंडेशन’ के बच्चों की ओर से ध्वज की शक्ल में तैयार इस कलाकृति को प्रख्यात शेफ विकास खन्ना अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को भेंट करना चाहते थे। इससे पहले उन्होंने इससे प्रधानमंत्री मोदी को दिखाया, जिन्होंने उस पर ऑटोग्राफ दिया।
विवाद उस वक्त सामने आया जब विकास ने मोदी के ऑटोग्राफ वाले इस ध्वज को मीडिया को दिखाया। इसके बाद ट्विटर पर ‘मोदीडिस्रेस्पेक्टट्राईकलर’ हैशटैग से इसकी आलोचना की जाने वाली। विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
गौरतलब है कि सरकारी नियमों के अनुसार, राष्ट्र ध्वज पर कुछ भी लिखना अपना अपमान है।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नई दिल्ली में कहा, “हम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरह संकीर्ण सोच वाले नहीं हैं। हम प्रधानमंत्री के पद का आदर करते हैं.. हालांकि आप ऊंचे हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्र ध्वज आपसे भी ऊपर है, आपको यह समझना चाहिए।”
वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, “क्या प्रधानमंत्री ने ध्वज संहिता 2002 का पैरा 2.1 सब पैरा 6 और पैरा 3.28 पढ़ा है, जिसमें साफ लिखा है कि राष्ट्र ध्वज पर लिखना इसका दुरुपयोग है। पीआईएनएच अधिनियम 2003 के तहत इसमें तीन साल कैद की सजा हो सकती है।”
हालांकि विपक्ष की तीखी आलोचनाओं से इतर प्रेस सूचना कार्यालय के महानिदेशक (मीडिया एवं संचार) फ्रैंक नोरोन्हा ने स्पष्ट किया कि जिस स्मृति चिह्न् पर प्रधानमंत्री मोदी ने हस्ताक्षर किए, उस पर अशोक चक्र नहीं था।
उन्होंने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तिरंगा के अपमान से संबंधित रपटें झूठी हैं। प्रधानमंत्री ने ध्वज पर ऑटोग्राफ नहीं दिया। जिस झंडे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑटोग्राफ दिया, उसे विशिष्ट क्षमता वाली एक बच्ची ने तैयार किया था। यह तिरंगा नहीं था।”
उन्होंने कहा, “मीडिया में आ रही इस तरह की रपटें गलत हैं कि उस झंडे को जब्त कर लिया गया है। किसी भी प्राधिकरण ने ऐसा नहीं किया है। मोदी के ऑटोग्राफ का एकमात्र उद्देश्य विशिष्ट क्षमताओं से युक्त बच्चों को प्रोत्साहित करना था।”
वहीं, न्यूयार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संग मौजूद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने आईएएनएस से कहा, “वह राष्ट्र ध्वज नहीं था। विकास खन्ना अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को कलाकृति भेंट करना चाहते थे और वह चाहते थे कि मोदी इस पर ऑटोग्राफ दें, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे अच्छा संदेश जाएगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि बच्ची के द्वारा तैयार कलाकृति की व्याख्या गलत तरीके से की जा रही है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उस कलाकृति को वापस ले लिया गया है, स्वरूप ने कहा कि उसे केवल समीक्षा के लिए लिया गया है।
वहीं, विकास खन्ना ने भी ट्विटर के जरिये पूरे प्रकरण पर सफाई दी। उन्होंने लिखा, “फाउंडेशन की विशिष्ट क्षमता से युक्त एक बच्ची ने इस झंडे को तैयार किया, जिसे मैं अपनी बेटी की तरह मानता हूं। यह राष्ट्र ध्वज नहीं है। इसे लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है।”