उत्तर प्रदेश के एक खेतिहर मजदूर प्रदीप कुमार (24) का इलाज तीन साल से एक ऐसे रोग के लिए हो रहा है जिसे 11 साल पहले बहुत हद तक भारत से भगा दिया गया था। वह रोग कोई और नहीं, बल्कि कुष्ठ है। भारत में अभी भी कुष्ठ रोगियों की संख्या 88,833 है।
उत्तर प्रदेश के एक खेतिहर मजदूर प्रदीप कुमार (24) का इलाज तीन साल से एक ऐसे रोग के लिए हो रहा है जिसे 11 साल पहले बहुत हद तक भारत से भगा दिया गया था। वह रोग कोई और नहीं, बल्कि कुष्ठ है। भारत में अभी भी कुष्ठ रोगियों की संख्या 88,833 है।
कुष्ठ मनुष्य की सबसे पुरानी बीमारियों में एक है। ईसाई धर्मग्रंथ ‘बाइबिल’ में इसका आमतौर पर उल्लेख किया गया है। यह रोग पीड़ित के रूप रंग खराब करने और बाद में उन्हें समाज से बहिष्कृत किए जाने के लिए कुख्यात है।
1991 में जब भारत में आर्थिक उदारीकरण शुरू किया गया तो यहां प्रति दस हजार जनसंख्या पर 26 कुष्ठ रोगी थे, लेकिन 14 वर्षो के अंदर लगातार प्रयासों और बहुऔषधि उपचार के कारण यह संख्या 25 गुना घट कर प्रति दस हजार एक हो गई।
सन् 2000 में विश्व ने कुष्ठ रोग के वैश्विक उन्मूलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य हासिल किया।
2001 से 2005 के दौरान जब भारत ने लक्ष्य हासिल किया तो दुनिया में कुष्ठ रोगियों की संख्या 61 प्रतिशत (763,262 से 296,499) कम हो गई। बहुत हद तक ऐसा इसलिए हुआ कि भारत में कुष्ठ रोगियों की संख्या चार गुना (615,000 से 161,457) कम हो गई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसके बाद से खास तौर पर विगत पांच साल में भारत में कुष्ठ रोग नियंत्रण के लिए नए दृष्टिकोण नहीं अपनाए जाने से इस दिशा में थोड़ा ठहराव आ गया है। कुष्ठ नियंत्रण में ठहराव के मद्देनजर सन् 2013 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस विषय पर अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित था।
वास्तव में ऐसा प्रतीत होता है कि कुष्ठ रोग सरकार के रडार से उतर गया है। भारत में हर साल पहचान किए जाने वाले 125000 कुष्ठ रोगियों में प्रदीप कुमार भी एक हैं, जबकि दुनिया भर में कुष्ठ रोग के 58 प्रतिशत नए मामले सामने आए।
हालांकि भारत में अभी कुष्ठ रोगियों की प्रचलित दर करीब प्रति दस हजार 0.69 है, अर्थात भारत में कुष्ठ रोगियों की संख्या 88,833 है।
एक गैर सरकारी संगठन भारतीय कुष्ठ मिशन ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक सुनील आनंद के अनुसार यह अधिकारिक आंकड़ा है, जबकि वास्तव में कुष्ठ रोगियों की संख्या दो गुना और यहां तक कि चार गुना भी अधिक हो सकती है।
इस तरह जब भारत में कुष्ठ रोग के खिलाफ लड़ाई में ठहराव आ गया है तो कुष्ठ रोग मुक्त विश्व की दिशा में भी प्रगति रुक गई है।
नए वैश्विक लक्ष्य भारत में कुष्ठ रोग के खिलाफ लड़ाई पुन: शुरू होने की उम्मीद करते हैं।
इस साल के शुरू में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2020 तक की समय सीमा के साथ कुष्ठ रोधी नई रणनीति का खुलासा किया जो भारत को कुष्ठ नियंत्रण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए बाध्य करेगी।