पटना, 13 दिसम्बर (आईएएनएस)। बिहार की राजधानी के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित 22वां ‘पटना पुस्तक मेला’ इस वर्ष कुछ खास है। इसका थीम है ‘पढ़ेगा बिहार, बढ़ेगा बिहार।’ चार दिसम्बर को शुरू मेले में आई नई किताबें जहां अक्षर प्रेमियों को आकर्षित कर रही हैं, वहीं शिल्प व संस्कृति के नजारे भी कला प्रेमियों लुभा रही हैं। मेला 15 दिसम्बर तक चलेगा।
पटना, 13 दिसम्बर (आईएएनएस)। बिहार की राजधानी के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित 22वां ‘पटना पुस्तक मेला’ इस वर्ष कुछ खास है। इसका थीम है ‘पढ़ेगा बिहार, बढ़ेगा बिहार।’ चार दिसम्बर को शुरू मेले में आई नई किताबें जहां अक्षर प्रेमियों को आकर्षित कर रही हैं, वहीं शिल्प व संस्कृति के नजारे भी कला प्रेमियों लुभा रही हैं। मेला 15 दिसम्बर तक चलेगा।
पटना पुस्तक मेला में ‘मेड इन इंडिया’ के मंच पर देश की लोक और जनजातीय कला की धूम है। ‘मेड इन इंडिया’ के स्टॉल पर देश के 10 से अधिक राज्यों के कलाकार अपनी कृतियों को लेकर पहुंचे हैं।
इस स्टॉल पर वैसे तो कई तरह की पेटिंग देखी और खरीदी जा रही हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल का कालीघाट और संथाल आर्ट लोगों को खूब पसंद आ रहा है।
पश्चिम बंगाल की चित्रकार मामोनी बताती हैं कि यह बंगाल की कला है, जिसमें कलाकार पहले एक गाना तैयार करते हैं और पेंटिंग के लिए गाते हैं। गाने के जरिये ही पेंटिंग की जानकारी दी जाती है।
इस स्टॉल पर मामोनी ने जहां दिल्ली के निर्भया कांड के मुद्दे को सामने रखा है, वहीं आतंकी हमलों को भी कला के जरिए उकेरा है।
द इंडिया आर्ट के सीईओ प्रशांत सिंह कहते हैं कि ‘मेड इन इंडिया’ अच्छी पहल है। इस मंच के माध्यम से लोक और जनजातीय कला में नई जान फूंकने की कोशिश है। शरीर से लाचार लोगों की कला और शिल्प को बढावा देने में भी सहयोग किया गया है।
एक स्टॉल पर कालाकार आशीष और विजयलक्ष्मी पटचित्र के जरिए अपनी कलाकृति से लोगों को रूबरू करा रहे हैं। कहा जाता है कि पटचित्र प्राकृतिक तरीके से ही तैयार किया जाता है।
आशीष बताते हैं कि यह पेंटिंग इमली के बीज से बनाई जाती है। पहले इमली के बीज से पेस्ट बनाकर उसे कलर किया जाता है और ताड़ के पत्ते पर कलाकृति बनाई जाती है।
इस पुस्तक मेले में ‘ड्रिटवुड आर्ट’ की भी प्रदर्शनी लगाई गई है, वहां भी कलाप्रेमी उमड़ रहे हैं। ड्राटवुड आर्ट के कलाकार प्राणतोष कहते हैं कि इस आर्ट में सड़ी-गली लकड़ियों को इस्तेमाल में लाया जाता है और उसे आकार दिया जाता है। इसके बाद तैयार कलाकृतियों के बेहतरीन तरीके से पॉलिश किया जाता है।
इस प्रदर्शनी में ‘गंगा बचाव-आदमी बचाव’ तथा ‘मदर एंड चाइल्ड लव’ विषय पर तैयार की गई कलाकृति को लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
इधर, इस कालाकृतियों को देखकर अभिभूत पटना कॉलेज के छात्र देव प्रकाश कहते हैं, “फालतू (वेस्ट) लकड़ियों को इस तरह से भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है, इसका कभी अंदाजा नहीं था। वेस्ट लकड़ियों का इससे अच्छा प्रयोग हो ही नहीं सकता। ऐसी कला पटना में पहली बार देखने को मिली है।”
द इंडिया आर्ट के सीईओ सिंह कहते हैं कि ‘मेड इन इंडिया’ के जरिए महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि बिहार सांस्कृतिक रूप से एक मजबूत राज्य रहा है। वास्तुकला और मधुबनी पेंटिंग की यहां शानदार विरासत रही है।
पुस्तक मेले में पहुंचे पुस्तक प्रेमी हर शाम 4.30 बजे से 6 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद भी ले रहे हैं।