अरुण कुमार
अरुण कुमार
वाशिंगटन, 10 नवंबर (आईएएनएस)। एक रपट के मुताबिक, अमेरिका में कमाई के मामले में शीर्ष 10 फीसदी में आने वाले भारतवंशी भारत को इतनी आर्थिक मदद भेज सकते हैं कि इसके आगे अमेरिका सरकार की मदद छोटी पड़ जाए।
ब्रिजस्पैन समूह द्वारा सोमवार को जारी रपट में कहा गया है कि भारतीय मूल के अमेरिकी अब भारत में पारिवारिक और सामुदायिक कामों के लिए आर्थिक मदद देने के बजाए भारत की बड़ी समस्याओं से निपटने के लिए सामाजिक कामों में मदद दे रहे हैं।
लगभग 35 लाख भारतवंशी अमेरिका में रहते हैं। समूह की रपट में कहा गया है कि भारतवंशी तेजी से तरक्की करता प्रवासी समुदाय है।
ब्रिजस्पैन के इंडिया ऑफिस के प्रमुख रोहित मेनेजेस ने कहा, “अमेरिका में भारतीय प्रवासी अब पहले से कहीं अधिक मदद करने की स्थिति में आ गए हैं। भारतीय आव्रजकों ने अच्छा प्रदर्शन किया है और अच्छी दौलत जमा कर ली है। हमारा लक्ष्य दानदाताओं को भारत को और अधिक मदद देने के लिए प्रेरित करना है।”
रपट में बताया गया है कि अमेरिका में कमाई के मामले में भारतवंशी औसतन शीर्ष 10 फीसदी कमाने वालों में शामिल हैं। कुल मिलाकर इनकी सालाना आय 67.4 अरब डालर है।
रपट में कहा गया है कि अगर भारतवंशियों द्वारा मदद स्थाई रूप से जारी रही और परोपकार के कामों में देने वाले धन में से 40 फीसदी भारत को देते रहे तो इनकी तरफ से सालाना 1.2 अरब डॉलर भारत में जरूरी कामों के लिए मिलता रह सकता है। यह मदद भारत को मिलने वाली अमेरिकी मदद (2014 में 11 करोड़ 64 लाख डालर) के मुकाबले कहीं अधिक होगी।
मेनेजेस ने कहा कि भारतीय मूल के अमेरिकी काफी शिक्षित हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित के क्षेत्र में अच्छा प्रतिनिधित्व है। इस खासियत के बल पर अमेरिका में इनका खास राजनैतिक-सामाजिक रुतबा है। उनकी यह हैसियत भी भारत में नागरिक समाजिक संगठनों की क्षमता और पेशेवाराना दक्षता बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है।
ब्रिजस्पैन ग्रुप ने स्टैनफोर्ड सोशल इन्नोवेशन रिव्यू और डासरा के साथ मिलकर ‘इंपैक्ट इंडिया’ पत्रिका शुरू की है। इसमें भारतीय मूल के अमेरिकियों द्वारा वापस भारत को दी जाने वाली मदद और इसके प्रभाव का आकलन किया जाता है।