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 उप्र चुनाव-2017 में अतिपिछड़ों की रहेगी अहम भूमिका : निषाद | dharmpath.com

Tuesday , 10 June 2025

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उप्र चुनाव-2017 में अतिपिछड़ों की रहेगी अहम भूमिका : निषाद

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण में अतिपिछड़े वर्ग की जातियों की चुनावी दृष्टि से अहम भूमिका रहती है। 54.05 प्रतिशत आबादी में कुर्मी, लोध, सोनार, अरकवंशीय, जाट, गूजर, गोसाई, कलवार आदि की आबादी 10.22 प्रतिशत व अत्यंत पिछड़े वर्ग के रूप में शामिल निषाद मल्लाह, केवट, किसान, पाल, बघेल, कोयरी, कुशवाहा, मौर्य, शाक्य, काछी, माली, सैनी, राजभर, प्रजापति, बढ़ई, लोहार, नाई, कहार आदि की आबादी 33.34 प्रतिशत है।

अपने बयान में निषाद ने कहा कि अतिपिछड़ों में निषाद-12.91 प्रतिशत, लोधी, किसान-6.06 प्रतिशत, पाल बघेल-4.43 प्रतिशत, मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, कोयरी, काछी-8.30 प्रतिशत, राजभर-2.44 प्रतिशत, चौहान-2.33, बढ़ई व लोहार-3.7 प्रतिशत हैं।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में निषाद, पाल, मौर्य-कुशवाहा, लोधी-किसान जाति का कोई भी कैबिनेट मंत्री नहीं है। यहीं नहीं प्रदेश कमेटी में भी निषाद समाज का कोई पदाधिकारी न होने के साथ-साथ पाल, निषाद, लोधी जाति का कोई भी जिलाध्यक्ष भी नहीं है।

उन्होंने कहा कि 2002, 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में 3-4 प्रतिशत मतों के हेर फेर से सत्ता में परिवर्तन हुआ था। ऐसे में इन अतिपिछड़ी जातियों की अहम भूमिका रहेगी। निषाद जाति का कोई भी नेता किसी निगम, आयोग, परिषद आदि का सदस्य तक नहीं है।

निषाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पूर्व सपा ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को 30 विभाग की 76 योजनाओं में 7.5 प्रतिशत मात्रात्मक आरक्षण का शासनादेश किया और मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने की घोषणा हुई, मगर इसका कोई भी लाभ निषाद, मछुआरा समाज को नहीं मिल रहा है।

उन्होंने प्रदेश सरकार से 17 अतिपिछड़ी जातियों को 7.5 प्रतिशत आरक्षण शिक्षा, सेवायोजन, पंचायतों में देने या विमुक्त जातियों का आरक्षण बहाल कर महाराष्ट्र पैटर्न पर दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि यदि सरकार ने ऐसा निर्णय लिया तो 2012 में सत्ता में सपा की फिर से वापसी संभव है।

उप्र चुनाव-2017 में अतिपिछड़ों की रहेगी अहम भूमिका : निषाद Reviewed by on . उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण में अतिपिछड़े वर्ग की जातियों की चुनावी दृष्टि से अहम भूमिका रहती है। 54.05 प्रतिशत आबादी में कुर्मी, लोध, सोनार, अ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण में अतिपिछड़े वर्ग की जातियों की चुनावी दृष्टि से अहम भूमिका रहती है। 54.05 प्रतिशत आबादी में कुर्मी, लोध, सोनार, अ Rating:
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