याचिकाकर्ता प्रताप चंद्र की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने 29 अगस्त, 2014 द्वारा वित्तीय पारदर्शिता संबंधी कई निर्देश पारित किए, जिन्हें आयोग ने अपने आदेश 19 नवंबर, 2014 द्वारा और अधिक स्पष्ट किया। इन निर्देशों में कहा गया है कि कोई भी राजनैतिक दल उन्हें चंदे में प्राप्त नकद धनराशि को प्राप्ति के 10 कार्यकारी दिवस के अंदर पार्टी के बैंक अकाउंट में अवश्य ही जमा करा देगा।
कहा गया है कि यदि किसी पार्टी ने निर्देशों का उल्लंघन किया, तो उसके खिलाफ निर्वाचन चिह्न् (आरक्षण एवं बटाई) आर्डर 1968 के प्रस्तर 16ए में पार्टी की मान्यता रद्द करने सहित तमाम कार्रवाई की जा सकती है।
डॉ. ठाकुर ने कहा कि चूंकि नोटबंदी का आदेश 8 नवंबर को आया था, इसलिए इन निर्देशों के अनुसार अधिकतम 20 नवंबर तक नकद राशि बैंक खाते में जमा कर देना चाहिए था, पर बसपा ने 2 दिसंबर के बाद 104 करोड़ रुपये जमा कराए, जो सीधे-सीधे इन निर्देशों का उल्लंघन है।