नई दिल्ली, 20 दिसम्बर (आईएएनएस)। पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद कीर्ति आजाद ने रविवार को जहां दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया वहीं दिल्ली सरकार ने कहा कि उसने डीडीसीए प्रकरण की जांच के आदेश दे दिए हैं।
पूर्व स्पिन दिग्गज बिशन सिंह बेदी के साथ यहां एक संवाददाता सम्मलेन में डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार का खुलासा करने के बाद आजाद ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से डीडीसीए के कामकाज की जांच करवाए जाने की मांग की।
आजाद हालांकि डीडीसीए में हुए कथित व्यापक भ्रष्टाचार के लिए आरोपियों के नाम लेने से बचते रहे, वहीं दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने एक बार फिर डीडीसीए के अध्यक्ष रह चुके केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस्तीफे की मांग की।
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डीडीसीए प्रकरण की जांच के लिए पूर्व सॉलिसिटर जनरल की अध्यक्षता वाला एक जांच आयोग गठित करने की घोषणा कर दी।
जेटली ने हालांकि अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है और कीर्ति आजाद को ‘काठ का घोड़ा’ कहा।
आजाद ने आरोप लगाया कि डीडीसीए ने फर्जी कंपनियों को ठेके दिए, करोड़ों रुपया इन्हें नकद दे दिया और लेखा परीक्षण (ऑडिट) में हेरफेर कर दी।
आजाद हालांकि बार-बार कहते रहे कि वह किसी पर व्यक्तिगत तौर पर निशाना नहीं साध रहे और आप पार्टी द्वारा जेटली पर लगातार लगाए जा रहे आरोपों से उनका कोई लेना-देना नहीं है और वह पिछले आठ वर्षो से यह मुद्दा उठाते आ रहे हैं।
आजाद ने संवाददाता सम्मेलन में विकिलीक्स4इंडिया का बनाया एक वीडियो दिखाया। इसमें दिखाया गया है कि डीडीसीए ने कई कंपनियों को काम का ठेका दिया लेकिन इन सभी का पता फर्जी निकला।
आजाद ने कहा, “अगर ये कंपनियां फर्जी थीं तो निश्चित तौर पर उनके जिन बैंकों में रुपये भेजे गए, वे भी फर्जी रहे होंगे।”
उन्होंने डीडीसीए पर कार्यालय और उपकरणों के लिए बाजार दर से अधिक किराए का भुगतान करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने बताया कि एक लैपटाप के लिए एक दिन में 16000 और प्रिंटर के लिए 3000 रुपये दिए गए।
आजाद ने कहा, “मैं सिर्फ भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना चाहता हूं। इसके बारे में विस्तार से जानकारी बाद में दी जाएगी। मैं दोहरा रहा हूं कि यह निजी नहीं है, किसी एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं है। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ है।”
1983 की क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम के सदस्य आजाद ने डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस आरोप को गलत बताया कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे और उनके साथ मिलकर उन्होंने जेटली पर निशाना साधने की योजना बनाई थी।
आजाद ने कहा, “अगर कोई इस तरह के आरोप लगा रहा है तो उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि तीन उंगलियां उसकी तरफ हैं।”
उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही भाजपा ने कीर्ति आजाद को इस मामले पर चुप रहने के लिए कहा था।
आजाद भी डीडीसीए में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशंसक बताते रहे।
जेटली 13 साल तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे। उनका कार्यकाल 2013 में खत्म हुआ था। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ है।
आजाद के इस खुलासे के ठीक बाद आप पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी से जेटली को बर्खास्त किए जाने की मांग की।
आप नेता आशुतोष ने राष्ट्रमंडल खेल-2010 भ्रष्टाचार मामले में संलिप्त रहे कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाड़ी का संदर्भ देते हुए कहा, “जेटली भाजपा के सुरेश कलमाड़ी हैं। जेटली को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए।”
आप के एक अन्य नेता कुमार विश्वास ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या मोदी जेटली के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का पूरा ब्योरा जानने के बाद भी उन्हें अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखेंगे।
विश्वास ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आदेश पर डीडीसीए की जांच के लिए बिठाई गई तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट खंगालने के उद्देश्य से ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 15 दिसंबर को प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के बहाने केजरीवाल के कार्यालय पर छापेमारी की थी।
सीबीआई ने हालांकि केजरीवाल के कार्यालय पर छापेमारी से इनकार किया है।
आप नेता संजय सिंह ने कहा, “कीर्ति आजाद ने स्पष्ट कर दिया है कि जेटली डीडीसीए में हुए भ्रष्टाचार के भी अध्यक्ष थे। उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए।”