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 कृषि विश्वविद्यालय बनें बदलाव के केंद्र : राष्ट्रपति | dharmpath.com

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कृषि विश्वविद्यालय बनें बदलाव के केंद्र : राष्ट्रपति

November 17, 2015 9:15 pm by: Category: विज्ञान Comments Off on कृषि विश्वविद्यालय बनें बदलाव के केंद्र : राष्ट्रपति A+ / A-

पंतनगर (उत्तराखंड), 17 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां कृषि विश्वविद्यालयों से देश की कृषि के विकास एवं बदलाव का केंद्र बनने का आह्वान किया।

पंतनगर स्थित पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मुखर्जी ने इस विश्वविद्यालय के कृषि शोध एवं तकनीकी विकास में बृहद योगदान का जिक्र किया और यहां के गुणवत्तायुक्त बीजों व उत्तम स्नातकों के साथ विश्वविद्यालय के प्रदर्शन को उत्कृष्ट बताया।

राष्ट्रपति ने कृषि को भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्यबिंदु बताते हुए इसकी ओर हमेशा से अधिक ध्यान दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कृषि के कारण ही भारत को हरित क्रांति का प्रादुर्भाव व खाद्य सुरक्षा की प्राप्ति हुई।

उन्होंने उर्वरकों का असंतुलित उपयोग, पानी का जरूरत से ज्यादा प्रयोग तथा फसल अवशेषों का जलाए जाने जैसे मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कम से कम उर्वरकों के उपयोग से अधिक से अधिक उत्पादन तथा फसल अवशेष प्रबंधन अपनाने के लिए कहा।

मुखर्जी ने भारत में पोषण सुरक्षा की बदहाल स्थिति की आरे ध्यान देते हुए भूले जा चुके पोषणयुक्त मोटे अनाजों पर अधिक शोध कर इनका उत्पादन बढ़ाने तथा दूसरी पोषक फसलें तैयार करने पर भी बल दिया।

मुखर्जी ने पंतनगर विश्वविद्यालय में विश्व के सर्वोत्तम 200 विश्वविद्यालयों की कतार में खड़े होने की क्षमता बताते हुए इसे श्रेणीकरण के मानकों की ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत बताई।

इससे पहले, राज्यपाल एवं कुलाधिपति डॉ. कृष्ण कांत पॉल ने उपाधि प्राप्तकर्ताओं को बधाई देते हुए पंतनगर विश्वविद्यालय को देश में हरित क्रांति का अग्रदूत बताया तथा ‘ब्रिक्स’ देशों की रैंकिंग में देश के एकमात्र इस कृषि विश्वविद्यालय का नाम होना बताया।

उन्होंने कृषि को पहली प्राथमिकता देते हुए इसे लाभकारी व्यवसाय के रूप में बदलने की आवश्यकता बताई तथा इसे स्वास्थ्य व पोषण प्रदान करने का जरिया बनाए जाने को कहा।

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने देश व समाज की सेवा में अनुपम योगदान देने की आशा प्रकट की। उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद में कृषि के योगदान को बढ़ाने, कृषि को पर्यावरण हितैषी बनाकर जलवायु परिवर्तन की गति कम करने, मृदा में कार्बन की मात्रा 2.5 प्रतिशत तक ले जाने तथा उत्तराखंड की जैव विविधता को किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए प्रयोग करने की बात कही।

उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि उत्पादों के भंडारण व प्रसंस्करण की सुविधा जुटाने की जरूरत है।

विश्वविद्यालय को देश को खाद्य सुरक्षा प्राप्ति का गवाह बताते हुए कुलपति डॉ. मंगला राय ने शिक्षण, शोध व प्रसार कार्यक्रमों की हाल की उपलब्धियों की जानकारी दी।

दीक्षांत समारोह में 1208 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान करने के साथ ही 15 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक, 15 विद्यार्थियों को कुलपति रजत पदक तथा 13 विद्यार्थियों को कुलपति कांस्य पदक प्रदान किए गए।

कृषि वानिकी (स्नातक) के कृष्ण मुरारी सर्वोत्तम विद्यार्थियों को दिया जाने वाला कुलाधिपति स्वर्ण पदक दिया गया, इसके एक विद्यार्थी को डॉ. राम शिरोमणि तिवारी अवार्ड, दो विद्यार्थियों को चौधरी सिंह स्मृति बुद्धिजीवी अवार्ड, एक विद्यार्थी को सरस्वती पाण्डा स्वर्ण पदक अवार्ड, एक विद्यार्थी को नागम्मा शांताबाई अवार्ड तथा एक विद्यार्थी को पूरन आनंद अदलखा स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।

राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं कृषि मंत्री ने रूद्राक्ष की पौध भी लगाई।

राष्ट्रपति के कार्यक्रम के कारण पुलिस व प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक प्रबंध किए गए थे।

राष्ट्रपति दिल्ली से उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित सेना के त्रिशूल हवाईअड्डे पर विमान से उतरने के बाद सड़क मार्ग से पंतनगर पहुंचे। हवाईअड्डे पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने राष्ट्रपति की अगवानी की।

इस मौके पर सासंद भगत सिंह कोश्यारी व क्षेत्र के विधायक व कई प्रशानिक अधिकारी भी मौजूद थे।

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