नई दिल्ली, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने बुधवार को कहा कि देश में कॉरपोरेट ऋण बाजार का संपूर्ण विकास बैंकरप्शी नियमों पर निर्भर करेगा, जिससे संबंधित विधेयक अभी संसद में विचाराधीन है।
सिन्हा ने संवाददाताओं से यहां कहा, “बैंकरप्शी विधेयक एक धन विधेयक है। हम इसे तेजी से पारित करने की कोशिश में हैं। देश में कॉरपोरेट ऋण बाजार का विकास नए बैंकरप्शी कानून पर निर्भर करेगा।”
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है, जिसे बुधवार को संसद की एक संयुक्त प्रवर समिति के हवाले कर दिया गया।
सिन्हा ने कहा, “कॉरपोरेट ऋण बाजार का विकास और कर्जदाताओं का अधिकार सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने कहा, “भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अल्पमत शेयरधारकों के अधिकार की सुरक्षा कर बेहतरीन काम किया है। बैंकरप्शी नियम कर्जदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा करेगा।”
विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति के हवाले किए जाने का सदन में प्रस्ताव रखते हुए जेटली ने कहा कि समिति में लोकसभा से 20 सदस्य और राज्यसभा से 10 सदस्य होंगे। उन्होंने कहा कि समिति अगले वर्ष बजट सत्र के प्रथम सप्ताह के आखिरी दिन अपनी रपट सौंपेगी।
एक दिन पहले लोकसभा में कई सदस्यों ने बगैर वित्त मामलों की स्थायी समिति में विचार हुए इस विधेयक पर सीधे बहस करने से इंकार कर दिया था।
विधेयक में दिवालिया घोषित किए जाने की प्रक्रिया में लगने वाली अवधि कम करने और कंपनियों को दिए गए कर्ज की बेहतर वसूली सुनिश्चित करने का प्रावधान है।
विधेयक के तहत प्रक्रिया में लगने वाली अवधि को 180 दिनों में सीमित करने का प्रस्ताव है, जिसे अतिरिक्त 90 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकेगा।