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चन्द राजनेताओं के लोभ ने विश्व हिंदी सम्मेलन को बना दिया 100 करोड़ की पिकनिक

September 10, 2015 9:58 pm by: Category: सम्पादकीय Comments Off on चन्द राजनेताओं के लोभ ने विश्व हिंदी सम्मेलन को बना दिया 100 करोड़ की पिकनिक A+ / A-

अनिल सिंह(विश्व हिंदी सम्मेलन से)

भोपाल

भोपाल

हिंदी का क्या होगा यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है लेकिन हो क्या रहा है यह दिख रहा है एवं जो हो रहा है उसे छिपाने और आयोजकों की दृष्टि से दिखाने के लिए पत्रकारों का प्रवेश भी हिंदी के लिए हो रहे मंथन में प्रतिबंधित किया गया है.यह सब कवायद इसलिए है क्योंकि यदि सिर्फ हिंदी के लिए किया गया होता तो इसका प्रभाव,शान्ति,आयोजन की गंभीरता अलग ही दिखती,लेकिन वहां तो वातानुकूलित पंडालों में सेल्फी खींचते लोग जिनमें हम भी थे ,नकली बोधिवृक्ष के नीचे गलबहियां डालते युवा,पूरे पांडाल में भागती अल्हड और उसे मनाता उसका प्रेमी,नाराज होते बुजुर्ग,अपने नेताओं के पीछे घूमते अपनी राजनीती कभी तो चमकेगी की आशा में राजनैतिक कार्यकर्ता,अधिकारी के सामने अपनी नौकरी पर तैनात सुरक्षाकर्मी,सरकारी कारिंदे,5000 रुपये की एंट्री फीस दे कर आये हिंदी को समझते प्रतिनिधि,जुगाड़ से आमंत्रण-पत्र पाए लोग और वह भीड़ जिसे मैं भीड़ ही कहूँगा जो प्रत्येक भाजपा दल के भोपाल में होने वाले आयोजन में पास गले में लटकाए दिख जाती है.

सुषमा–स्वराज का वह कौन सा लोभ जिसकी वजह से यह सम्मेलन हिंदी भाषी भोपाल में हुआ?

सुषमा स्वराज ने कहा की सन 2012 में जोहानसबर्ग में तय हुआ था की अगला सम्मेलन भारत में होगा और प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने यह सम्मेलन भोपाल में करने के सुषमा-स्वराज के प्रस्ताव को मान लिया.अब विदेश मंत्री के पद को सुशोभित करती सुषमा-स्वराज का यह निर्णय हिंदी के भले को लेकर हुआ या अपनी राजनैतिक जमीन जो दलदली हो रही है जिसकी नैया इस बार बड़ी मुश्किल से पार हुई और अभी भी वह कांग्रेस के आरोपों की बदली में घिरी हुई है इसे बचाने का सुषमा का एक 100 करोड़ का प्रयत्न.

तीन दागी इस सम्मेलन में मुख्य भूमिका में रहे 

राष्ट्रहित की चर्चा करें तो साफगोई का दम भरने वाले पूरे भारत ने जिस व्यक्ति को अपना पूरा विशवास सौंप कर प्रधानमन्त्री बनाया उस नरेंद्र दामोदर मोदी की अगुवाई और स्वागत तीन दागी व्यक्तियों ने किया.अभी तक ये दागी अपने दागों के मुक्त नहीं हुए इसलिए ये दागी ही हैं.प्रधानमन्त्री उनकी इस अदा पर प्रसन्न हुए या कोई शर्मिंदा यह तो वे ही जानें लेकिन राष्ट्रवासी तो दुखी ही हुए की इस लिए उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री के रूप में देखना चाहा.

पत्रकारिता के पर इस आयोजन में क़तर दिए गए 

पत्रकारों को तो इस मंथन से दूर रखा गया लेकिन कब तक छुपेगी बातें जैसे ही मंतन के लोग बाहर निकलेंगे सब पता चल जाएगा क्या हुआ.शाम को जो प्रस्तुति दी जाती है पत्रकारों को वह लिखना मजबूरी बन जाता है आखिर क्यों बचाया जा रहा इस कार्यक्रम को पत्रकारों से?

इस आयोजन के प्रबंधकर्ता अनिल माधव द्वे की मंच ने खुल कर तारीफ़ की व्यवस्था सुचारू बनाने की वह तो है ही ये करते भी है इनका किया कुशल प्रबंधन माँ नर्मदा आज भी साक्षी है ,करोड़ों खर्च कर के भी नर्मदा में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है.

 

 

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