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 छत्तीसगढ़ के निर्मल ग्रामों से प्रभावित हुए थे कलाम | dharmpath.com

Saturday , 7 June 2025

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छत्तीसगढ़ के निर्मल ग्रामों से प्रभावित हुए थे कलाम

जनसंपर्क विभाग के सचिव गणेश शंकर मिश्रा ने मंगलवार को बताया कि राज्य के राजनांदगांव जिले की तेरह ग्राम पंचायतों को वर्ष 2006 में भारत सरकार द्वारा निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए चुना गया था। राजनांदगांव प्रदेश का पहला जिला था, जिसकी ग्राम पंचायतों का चयन इस पुरस्कार के लिए किया गया था। इन ग्राम पंचायतों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में निर्मल ग्राम राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था।

मिश्रा उस समय राजनांदगांव जिले के कलेक्टर थे। उनके नेतृत्व में इन ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने डॉ. कलाम के हाथों यह पुरस्कार ग्रहण किया था। डॉ. कलाम इस बात को लेकर काफी उत्साहित थे कि छत्तीसगढ़ जैसे नये राज्य में एक साथ तेरह ग्राम पंचायतों का चयन इस राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए किया गया है।

उन्होंने मिश्रा से और पंचायतों के सरपंचों से काफी दिलचस्पी और उत्सुकता के साथ यह जानकारी ली कि इन गांवों को निर्मल ग्राम बनाने कार्य उन्होंने कैसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। तत्कालीन कलेक्टर मिश्रा ने डॉ. कलाम को इन गांवों की सफलता की कहानियों से अवगत कराया था। संबंधित ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से भी डॉ. कलाम ने बड़ी आत्मीयता के साथ गांवों की स्वच्छता से जुड़े विषयों पर बातचीत की थी।

बकौल मिश्रा, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने लगभग 15 दिन पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को अपने हाथों से पत्र लिखकर राज्य के युवाओं के कौशल उन्नयन के लिए अपनी सेवा देने की पेशकश की थी।

मुख्यमंत्री ने सोमवार रात अत्यंत भावुक होकर डॉ. कलाम की इस चिठ्ठी का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की जनता और विशेष रूप से इस राज्य के युवाओं से डॉ. कलाम का कितना गहरा लगाव था, यह उनके द्वारा अपने हाथ से 15 दिन पहले लिखी चिठ्ठी से पता चलता है।

बकौल मिश्रा, डॉ. सिंह ने कहा, “आत्मीयता से परिपूर्ण इस चिठ्ठी में उन्होंने मुझे लिखा है कि छत्तीसगढ़ के युवाओं के कौशल उन्नयन से संबंधित कार्यों के लिए जब कभी मेरी जरूरत होगी, मैं हमेशा उपलब्ध रहूंगा।” मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. कलाम को छत्तीसगढ़ के लोग हमेशा याद रखेंगे।

मिश्रा ने याद किया : वह एक ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने राष्ट्रपति भवन को हमेशा आम जनता के लिए खुला रखा। किसानों को वहां आमंत्रित कर उनके साथ बैठकर खेती-किसानी की बातें कीं। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल से भी वह लगातार जुड़े रहे। एक बार जब वे रायपुर आए थे, तो उन्होंने छत्तीसगढ़ के जन-गण के गौरव की ‘जय हो’ शीर्षक से एक कविता की भी रचना की थी।

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