वाश्िंागटन, 10 नवंबर (आईएएनएस)। पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर होनेवाले सम्मेलन को लेकर अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि इसमें भारत अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए कदम उठाएगा।
वाश्िंागटन, 10 नवंबर (आईएएनएस)। पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर होनेवाले सम्मेलन को लेकर अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि इसमें भारत अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए कदम उठाएगा।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कहा, “निश्चित तौर पर हमें उम्मीद है कि भारत इस व्यापक वैश्विक प्रयास में योगदान करेगा।” उन्होंने कहा कि यह भारत की आर्थिक चुनौतियों के समान ही है।
उन्होंने कहा, “लेकिन यह भी बताना चाहेंगे कि हम यह देख चुके हैं कि अतीत में भारत ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।” सचिव ने कहा कि भारत हाइड्रोफ्लोरिक कार्बन में कटौती की प्रतिबद्धता पहले ही जता चुका है।
अर्नेस्ट ने कहा, “तेल व गैस जलाने की तुलना में इन प्रयासों का जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।”
उन्होंने कहा, “इसीलिए अतीत में भारत महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता के प्रति तत्पर रहा है, जो इस व्यापक प्रयास में योगदान है।”
उन्होंने कहा, “लेकिन हम निश्चित तौर पर एक ऐसे देश को देखना पसंद करेंगे, जिसकी अर्थव्यवस्था भारत की तरह मजबूत हो और इस प्रयास में एक महत्वपूर्ण योगदान करे।”
यह पूछे जाने पर कि पेरिस में होनेवाले आयोजन का भारत एक हिस्सा होगा, अर्नेस्ट ने कहा कि वह नहीं जानते कि पेरिस के लिए उनकी क्या योजना है।
अर्नेस्ट ने कहा कि पेरिस में 30 नवंबर व एक दिसंबर को होनेवाली जलवायु वार्ता में ओबामा शिरकत करेंगे, साथ ही अमेरिका एक समझौते को आगे बढ़ा रहा है, जिसमें तीन चीजें हैं-
पहला, यह सम्मेलन के प्रतिभागी सभी देशों के महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को दर्शाता है।
दूसरा, यह दीर्घावधि के एक ढांचे को पेश करेगा, जो देशों को एक समयांतराल में जवाबदेही के उच्च मानकों और सदी के अंत तक कम कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
तीसरा, यह कम कार्बन विकास व जलवायु अनुकूलन के लिए चल रहे वित्तीय व तकनीकी सहायता को संगठित करता है, खासकर सबसे गरीब व सबसे कमजोर देशों के लिए।
अर्नेस्ट ने कहा, “सबसे गरीब देशों में कुछ वैसे हैं, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील हैं, जिसे पहले ही पूरी दुनिया में महसूस किया जा चुका है।”
उन्होंने कहा, “वैज्ञानिक व विशेषज्ञ इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अमेरिका व पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है और अगर इसके लिए कुछ नहीं किया गया, तो यह हमारे आर्थिक व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक है।”