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Saturday , 31 May 2025

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दमा कर सकता दिल को कमजोर

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। देश की राजधानी में तेजी से बढ़ते दमे के मामलों की वजह से मेडिकल पेशेवर भी चिंता में हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की 11 फीसदी जनसंख्या दमा से पीड़ित है। वायु प्रदूषण और लोगों में बढ़ती धूम्रपान की आदत इसकी वजह है। दमा के मरीजों में हार्टअटैक का खतरा ज्यादा रहता है।

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। देश की राजधानी में तेजी से बढ़ते दमे के मामलों की वजह से मेडिकल पेशेवर भी चिंता में हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की 11 फीसदी जनसंख्या दमा से पीड़ित है। वायु प्रदूषण और लोगों में बढ़ती धूम्रपान की आदत इसकी वजह है। दमा के मरीजों में हार्टअटैक का खतरा ज्यादा रहता है।

आम तौर पर लोग मानते हैं कि दमा और हार्टअटैक में कोई संबंध नहीं है। एक सांस प्रणाली को प्रभावित करता है तो दूसरा दिल के नाड़ीतंत्र को, लेकिन तथ्य यह है कि दोनों में आपसी संबंध है। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि जो मरीज दमा से पीड़ित हैं, बिना दमा वालों के मुकाबले, उन्हें हार्टअटैक होने की 70 प्रतिशत संभावना ज्यादा होती है।

यहां के वसंत कुंज स्थित फोर्टिस एस्कोटर्स हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक पद्मश्री डॉ. उपेंदर कौल कहते हैं, “एक जैसे लक्षणों की वजह से बहुत से ऐसे मामले मेरे पास आते हैं, जिनमें कंजस्टिव हार्ट फेल्योर को दमा का अटैक समझ लिया जाता है। दोनों के इलाज की अलग-अलग पद्धति होने और जांच में देरी होने से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं और जानलेवा भी साबित हो सकता है।”

उन्होंने कहा कि एक आम उदाहरण है दमा के इलाज के लिए प्रयोग होने वाले इन्हेलर। अगर हार्ट फेल्योर होने पर इन्हेलर दे दिया जाए तो गंभीर एरहयेथमियस होने से जल्दी मौत हो सकती है। दमा और कंजस्टिव हार्ट फेल्योर, जिसे कार्डियक अस्थमा कहा जाता है, के लक्षण एक जैसे हैं। इनमें सांस टूटना, और खांसी मुख्य लक्षण हैं।

डॉ. कौल ने कहा कि यह जागरूकता फैलाना जरूरी है कि अपने आप दवा न लें, डॉक्टर से सलाह जरूर लें। सही समय पर डॉक्टरी सलाह लेने से जानलेवा हालात को रोका जा सकता है।

वह बताते हैं कि कुछ संवदेनशील खून जांच की पद्धतियां हैं, जो कॉर्डियक ऑरिजिन और पल्मूनरी ऑरिजिन का फर्क बता देती हैं। इनमें से एक टेस्ट है एनटी पीआरओबीएनपी ऐस्टीमेशन, जिसे स्क्रीनिंग पॉइंट ऑफ केयर टेस्ट कहा जाता है। ऐसे टेस्ट से कई बार अस्पताल में भर्ती होने की परेशानी से बचा जा सकता है।

शोध से पता चलता है कि दमा के इलाज के लिए प्रयोग होने वाली कुछ दवाएं दमा के मरीजों में दिल की बीमारियां का खतरा बढ़ा देती हैं। उदाहरण के लिए बीटा-एगोनिस्टस, जो मांसपेशियों को आराम देने में मदद करती है, इसका प्रयोग दमा के मरीजों को तुरंत आराम देने के लिए किया जाता है।

उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दमा को नियंत्रित रखा जाए, ताकि हालत बिगड़ कर दिल की समस्या बनने तक ना पहुंच सके। दमे का उचित इलाज करने के लिए नियमित तौर पर लक्षणों का ध्यान रखना और इस बात का ख्याल रखना कि फेफड़े कितने अच्छे ढंग से काम कर रहे हैं, जरूरी है।

दमा कर सकता दिल को कमजोर Reviewed by on . नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। देश की राजधानी में तेजी से बढ़ते दमे के मामलों की वजह से मेडिकल पेशेवर भी चिंता में हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। देश की राजधानी में तेजी से बढ़ते दमे के मामलों की वजह से मेडिकल पेशेवर भी चिंता में हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर Rating:
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