पटना, 20 नवंबर (आईएएनएस)। नीतीश कुमार ने शुक्रवार को पांचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 28 मंत्रियों ने भी शपथ ली। नीतीश की अगुवाई वाले मंत्रिमंडल के सदस्यों पर गौर किया जाए तो सबसे ज्यादा 7 यादव जाति से हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले जातिगत वोट बैंकों का भी नीतीश मंत्रिमंडल में खास ख्याल रखा गया है। वैसे नए मंत्रिमंडल में करीब-करीब सभी प्रमुख जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है।
नीतीश के मंत्रिमंडल में शामिल यादव जाति के जिन सात विधायकों को जगह दी गई है, उनमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कोटे से छह यादव विधायक शामिल हैं और जनता दल (युनाइटेड) के कोटे से एकमात्र विजेंद्र प्रसाद यादव हैं।
जद (यू) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने मंत्रिमंडल को पूरी तरह संतुलित बताते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है। इसमें जहां युवा और अनुभवी नेताओं का सामंजस्य है, वहीं सबसे बड़ी बात है कि नीतीश कुमार का कुशल नेतृत्व है।
नीतीश कुमार ने अपने 28 सदस्यीय मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यकों और सवर्णो को बराबर मौका दिया है। नीतीश ने सवर्ण जाति से चार और इतनी ही संख्या में मुसलमानों को भी प्रतिनिधित्व दिया है।
नीतीश के मंत्रिमंडल में पांच दलितों को भी मौका मिला है, जबकि जातिगत समीकरण का ख्याल रखते हुए कुशवाहा जाति से आने वाले तीन चेहरों को भी मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है। कुर्मी जाति से आने वाले दो विधायकों को मंत्री बनाया गया है, जबकि नए मंत्रिमंडल में एक मल्लाह, एक कामत और एक नोनिया जाति से आने वाले विधायक को जगह दी गई है।