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 ‘नीम हकीम खतरेजान’ साबित हो रहा गूगल | dharmpath.com

Monday , 9 June 2025

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‘नीम हकीम खतरेजान’ साबित हो रहा गूगल

नई दिल्ली, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। वर्तमान दौर में लोग अपने जीवन से जुड़े हर सवालों का जवाब सर्च इंजन गूगल पर ढूंढते हैं। लेकिन जहां तक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों की बात है, तो लोग गूगल को अपना चिकित्सक मानकर मुफ्त में मुसीबत मोल लेते हैं। हालात यह है कि शरीर में एक छोटी सी फुंसी को वे कैंसर और सिरदर्द को ब्रेन ट्यूमर समझकर मानसिक अवसाद तक के शिकार हो जाते हैं।

नई दिल्ली, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। वर्तमान दौर में लोग अपने जीवन से जुड़े हर सवालों का जवाब सर्च इंजन गूगल पर ढूंढते हैं। लेकिन जहां तक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों की बात है, तो लोग गूगल को अपना चिकित्सक मानकर मुफ्त में मुसीबत मोल लेते हैं। हालात यह है कि शरीर में एक छोटी सी फुंसी को वे कैंसर और सिरदर्द को ब्रेन ट्यूमर समझकर मानसिक अवसाद तक के शिकार हो जाते हैं।

शरीर में किसी प्रकार की समस्या होने पर गूगल पर उसके बारे में टोह लेने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसके बाद लोगों को यह पता नहीं होता कि उन्हें कहां पर रुकना है।

सही तरीका तो यही है कि जब चिकित्सक किसी को किसी बीमारी की पुष्टि कर दे, तब सर्च इंजन पर जाकर उससे संबंधित जानकारियां जुटाना फायदे का सौदा हो सकता है, लेकिन चिकित्सक के पास जाने के बजाय लक्षणों के आधार पर अपना इलाज खुद करना खतरनाक साबित हो सकता है।

सर गंगाराम अस्पताल में न्यूरो-स्पाइन सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ.सतनाम सिंह छाबड़ा ने अईएएनएस से कहा, “सबसे बड़ी समस्या यह है कि इंटरनेट पर अथाह सूचनाएं मौजूद हैं, जो सही भी हो सकती हैं। लेकिन जब आपकी बीमारी का लक्षण किसी दूसरी बीमारी के लक्षणों से मेल खाता है, तब भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसीलिए आपकी बीमारी की सही जांच बेहद जरूरी है।”

वे ऐसे कई युवाओं से रूबरू हो चुके हैं, जो अपनी छोटी से छोटी शारीरिक समस्या के समाधान के लिए इंटरनेट से चिपके रहते हैं।

उदाहरण के तौर पर, यदि किसी का स्वास्थ्य बिगड़ता है, चिकित्सक के पास जाने के बजाय उनका पहला कदम होता है, गूगल की शरण में जाना और लक्षणों के आधार पर अपनी बीमारियों की पहचान खुद करना।

छाबड़ा ने कहा, “लेकिन लोगों को इस बात से सावधान होना चाहिए कि वे ऐसा कर मुफ्त में परेशानी मोल लेते हैं। छोटी से छोटी बीमारी के लक्षणों को भयंकर बीमारी मानकर वे मानसिक अवसाद की स्थिति में चले जाते हैं, क्योंकि विभिन्न रोगों के लक्षणों में अक्सर समानता होती है।”

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में वरिष्ठ परामर्शदाता (हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ व सर्जन) डॉ.राजू वैश्य के मुताबिक, गूगल को चिकित्सक मानने के जाल से लोगों को सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इससे कुछ अच्छा होने के बदले आपका बड़ा नुकसान हो सकता है।

बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉ.आर.के.सिंघल ने इस मामले में एक दिलचस्प वाकया सुनाया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार 30 साल का एक युवक सिर में भयानक दर्द की शिकायत लेकर उनके पास आया और कहा कि ऐसा लग रहा है कि उसे ब्रेन ट्यूमर हो गया है। जांच के बाद हमने पाया कि वह लंबे समय से गले में संक्रमण व ठंड का शिकार है।

सिंघल ने आईएएनएस से कहा, “इंटरनेट द्वारा एक महीने तक खुद की जांच करने बाद वह मरीज मेरे पास आया था। बीमारी के लक्षणों से उसने विश्वास कर लिया था कि उसे ब्रेन ट्यूमर ही है।”

सिंघल के मुताबिक, 25-40 वर्ष आयु वर्ग के लोग लक्षणों के आधार पर इंटरनेट पर बीमारी का पता लगाने के चक्कर में पड़ रहते हैं, जिसका कोई परिणाम नहीं निकलता, सिवाय वे चिंतित होकर अपने स्वास्थ्य को और बिगाड़ते हैं।

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में वरिष्ठ न्यूरो व स्पाइन सर्जन डॉ.राहुल गुप्ता के पास भी कई युवा गूगल पर सर्च के बाद और जानकारी के लिए उनके पास पहुंचते हैं।

उन्होंने जोर देते हुए कहा, “इंटरनेट द्वारा खुद का इलाज खतरनाक साबित हो सकता है। मरीज हमारी सलाह को समय पर मानते नहीं और बेकार के सवालों में समय गंवाते हैं।”

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