नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)। दशकों के इंतजार के बाद भारत सरकार ने क्रांतिकारी नेता नेताजी सुभाषचंद्र बोस से संबंधित 100 गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दिया। आज 70 साल बाद भी उनकी मौत पर से रहस्य का पर्दा उठ नहीं पाया है। बताया जाता है कि एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन 100 फाइलों का डिजिटल संस्करण जारी किया। पिछले साल अक्टूबर में नेताजी के परिजन जब मोदी से मिले थे तब उन्होंने आश्वासन दिया था कि वे इन फाइलों को सार्वजनिक करेंगे। इन 100 फाइलों में करीब 16,600 पृष्ठ हैं। इसे भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा गया है।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के जांबाज सिपाही नेताजी की 119वीं जयंती पर ये फाइलें सार्वजनिक की गईं। उन्होंने ब्रिटिश सेना से मुकाबले के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया था।
मोदी ने इस अवसर पर नेताजी से जुड़े पोर्टल ‘नेताजीपेपर्सडॉट जीओवी डॉट इन’ भी लांच किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, “पहले कदम के रूप में दस्तावेजों के संरक्षण के बाद नेताजी से जुड़ी 100 फाइलें सार्वजनिक की गई हैं।”
बयान में कहा गया कि बाकी फाइलों का संरक्षण किए जाने के बाद उसे भी सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
इस अवसर पर नेताजी के परिवार के कई सदस्य मौजूद थे और बेहद भावुक क्षणों के बीच ये फाइलें सार्वजनिक की गईं।
नेताजी की भतीजी चित्रा घोष के आंसू छलक पड़े। नेताजी के परिवार की ही सदस्य चंद्रा बोस और सूर्य कुमार बोस ने बेहद भावुक अंदाज में इसे ‘पूरे देश के लिए बेहद अहम क्षण’ बताया।
हालांकि सूर्य कुमार बोस ने कहा कि सार्वजनिक किए गए दस्तावेज नेताजी से जुड़ी सर्वाधिक अपेक्षित जानकारियों वाली नहीं हैं।
सार्वजनिक की गई फाइलों से पहली बार इस बात का खुलासा हुआ है कि नेताजी की आजाद हिंद फौज से घनिष्ठ संबंध रखने वाले जापानी सैन्य खुफिया अधिकारी जनरल इवाईची फुजीवारा ने भारत सरकार से 1979 में टोक्यो के एक मंदिर में रखे बोस की अस्थियों को संरक्षण में लेने और उसकी देखभाल करने को कहा था।
उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने जवाब दिया था कि वे इस मामले को अगले एक-दो साल में देखेंगे।
9 मार्च, 1979 को टोक्यो से भेजे गए पत्र में जनरल फुजीवारा ने भारतीय प्रधानमंत्री को उनकी बात सुनने के लिए आभार व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने मंदिर से नेताजी की अस्थियों को संरक्षण में लेने की बात कही थी।
हालांकि इसके कई वर्षो बाद फरवरी, 1995 में भी पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने गृह मंत्रालय, खुफिया ब्यूरो और शीर्ष राजनयिकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद नेताजी की अस्थियां लाने पर फैसला टाल दिया था।
उल्लेखनीय है कि भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार को वर्ष 1997 में रक्षा मंत्रालय से इंडियन नेशनल आर्मी (आजाद हिंद फौज) से संबंधित 990 फाइलें प्राप्त हुई थीं और वर्ष 2012 में खोसला आयोग (271 फाइलें) और न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग (759 फाइलें) से संबंधित कुल 1030 फाइलें गृह मंत्रालय से प्राप्त हुई थीं। ये सभी फाइलें सार्वजनिक रिकॉर्ड नियम, 1997 के तहत जनता के लिए पहले से ही उपलब्ध हैं।