नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने बुधवार को कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल राज्य के मुख्यमंत्री के फैसले को रद्द नहीं कर सकते, क्योंकि यह संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है।
सर्वोच्च न्यायालय के वकील सुब्रमण्यम ने सचिवों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण को लेकर दिल्ली सरकार एवं उपराज्यपाल के अधिकारों के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को कानूनी सलाह दी।
सुब्रमण्यम ने कहा, “दिल्ली सरकार के फैसलों को उपराज्यपाल रद्द नहीं कर सकते, क्योंकि यह संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है।”
उन्होंने कहा, “विशेष रूप से यह अनुच्छेद 14 एवं अनुच्छेद 239 ए ए का उल्लंघन है और संविधान की आधारभूत संरचना के अनुसार गलत है, क्योंकि यह लोकतंत्र एवं सरकार के मंत्रिमंडल के स्वरूप की अवहेलना करती है।”
दूसरे प्रावधानों में, अनुच्छेद 239 ए ए के अनुसार, “उपराज्यपाल और उनके मंत्रियों के बीच किसी मसले पर मतभेद होने की स्थिति में उपराज्यपाल मुद्दे को राष्ट्रपति के समक्ष रख सकता है और राष्ट्रपति के फैसले पर अमल कर सकता है। वहीं, फैसले में देर होने पर मसले में अपने विवेक के आधार पर निर्देश दे सकता है।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को दिल्ली का कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किए जाने के मसले पर ठन गई है।
मुख्यमंत्री ने गैमलिन पर बिजली वितरक कंपनियों के लिए लॉबिंग करने का आरोप लगाया है।