सिडनी, 28 सितम्बर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय में छात्रों ने सेवानिवृत्ति के लिए बाध्य किए गए भारतीय मूल के एक प्राध्यापक की बहाली के लिए अभियान शुरू कर रखा है। मीडिया में जारी एक खबर में यह जानकारी दी गई।
विक्टोरिया युनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के 74 वर्षीय जे शॉ पिछले चार वर्षो से निश्चित अवधि के अनुबंध पर पढ़ा रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियाई छात्र अलेक्जेंडर जैनेट द्वारा शुरू की गई याचिका को अन्य छात्रों का समर्थन मिला है।
जैनेट ने कहा शॉ छात्रों के लिए एक बहुमूल्य निधि हैं और उन्हें बहाल न किया जाना दर्शनशास्त्र पढ़ने वाले छात्रों के लिए बड़ा नुकसान साबित होगा।
समाचार वेबसाइट स्टफ डॉट को डॉट एनजेड द्वारा रविवार को जारी शॉ के कथन के मुताबिक, “मुझे बताया गया था कि वे मेरे अनुबंध का नवीनीकरण नहीं कर सकते और मुझे वर्ष के अंत तक जाना पड़ेगा। मैंने उन्हें कहा कि मैं बिना वेतन पढ़ाने के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझे इसकी मंजूरी नहीं मिली।”
विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की सेवानिवृत्ति हमेशा आपसी समझौते पर आधारित होती है।
माना जाता है कि शॉ न्यूजीलैंड में पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें किसी विद्वान के सम्मान में प्रकाशित लेखों का एक संग्रह (फेस्ट्सक्रिफ्ट) प्राप्त हुआ है।
समाचार वेबसाइट के मुताबिक शॉ ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अध्यापन किया है, 100 से अधिक शोधपत्र पेश किए हैं, 11 किताबें लिखी हैं और 1993 में धार्मिक वैश्विक संसद में न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व किया है।