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 मंत्रिमंडल विस्तार बना शिवराज की मुसीबत | dharmpath.com

Tuesday , 17 June 2025

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मंत्रिमंडल विस्तार बना शिवराज की मुसीबत

भोपाल, 3 जुलाई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान बतौर मुख्यमंत्री 10 वर्ष से ज्यादा वक्त गुजार चुके हैं, मगर पहली बार ‘अपनों की नाराजगी’ के चलते मुसीबत में पड़ते नजर आ रहे हैं। उनके तीसरे कार्यकाल में ढाई वर्ष बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार से कम ही लोग खुश हैं और ज्यादा में नाराजगी है। मार्गदर्शक संगठन भी कुपित है।

भोपाल, 3 जुलाई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान बतौर मुख्यमंत्री 10 वर्ष से ज्यादा वक्त गुजार चुके हैं, मगर पहली बार ‘अपनों की नाराजगी’ के चलते मुसीबत में पड़ते नजर आ रहे हैं। उनके तीसरे कार्यकाल में ढाई वर्ष बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार से कम ही लोग खुश हैं और ज्यादा में नाराजगी है। मार्गदर्शक संगठन भी कुपित है।

मंत्रिमंडल विस्तार में नौ विधायकों को स्थान दिया गया है, वहीं दो बुजुर्ग मंत्रियों बाबूलाल गौर और सरताज सिंह को सिर्फ इसलिए मंत्रिमंडल से बाहर किया गया, क्योंकि दोनों की उम्र 75 पार है। इतना ही नहीं, दूसरे दलों में रहे और अब भाजपा के विधायक बने संजय पाठक व हर्ष सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया है।

एक तरफ उम्र के आधार पर दो मंत्रियों की छुट्टी और दो कांग्रेस विचारधारा के परिवारों के सदस्यों को मंत्री बनाए जाने से भाजपा के प्याले में तूफान आ गया है। गौर और सरताज सिंह ने तो खुलकर पार्टी के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

गृहमंत्री रहे गौर का कहना है कि उनका अपमान किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या मां-बाप बुजुर्ग हो जाएंगे तो उन्हें परिवार से बाहर कर दिया जाएगा? वहीं सरताज सिंह अपनी सक्रियता का हवाला देते नहीं थक रहे हैं।

इन दोनों नेताओं का साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने भी दिया है और कहा है कि पार्टी को इस तरह पद से हटाने का फैसला नहीं करना चाहिए, सम्मान का ख्याल रखा जाना चाहिए था।

खास बात तो यह कि भाजपा का मार्गदर्शक संगठन यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी नाराज है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह और संगठन मंत्री सुहास भगत को संघ कार्यालय जाकर सफाई देनी पड़ी है। यह बात अलग है कि संगठन इसे सामान्य और शिष्टाचार बैठक करार दे रहा है।

एक तरफ वे नेता नाराज हैं, जिन्हें मंत्री पद से हटाया गया है तो दूसरी ओर वे विधायक नाराज हैं, जिन्हें दावेदार होने के बावजूद मंत्री नहीं बनाया गया है। इनमंे विधायक प्रदीप लारिया भी हैं, जिन्होंने अनुसूचित जाति को महत्व न दिए जाने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिख डाला है।

मालवा अंचल के तो एक नहीं, कई विधायक नाराज हैं। इस क्षेत्र से एक भी विधायक को मंत्रिमंडल विस्तार में जगह नहीं मिली है।

अब जानिए, संघ क्यों खुश नहीं है। संघ की मुख्य तौर पर नाराजगी कांग्रेस से आए संजय पाठक को लेकर है, उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए विधायक पद से इस्तीफा दिया और फिर भाजपा के टिकट पर जीते। संघ इसलिए नाराज है कि कांग्रेस से आने वालों को मंत्री क्यों बनाया गया?

पाठक के मंत्री बनाए जाने पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने सफाई दी है कि उन्हें मंत्री इसलिए बनाया गया है, क्योंकि पार्टी ने उनसे वादा किया था कि उन्हें भाजपा में आने पर मंत्री बनाया जाएगा।

उधर, भाजपा के उज्जैन के वरिष्ठ नेता दिवाकर नातू ने भी सरकार के रवैए पर नाराजगी जताई है।

भाजपा के भीतर चल रही खींचतान को कांग्रेस ने और हवा दे दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह शनिवार को पूर्व गृहमंत्री गौर के घर मुलाकात करने जा पहुंचे। यादव ने तो गौर को मंत्री पद से हटाने को ‘घृणित कृत्य’ करार दिया। वहीं अजय सिंह ने कहा कि गौर प्रदेश के वरिष्ठतम नेता हैं और उनके साथ इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं है।

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