दशरथ नगर (बिहार), 10 मई (आईएएनएस)| बिहार में गर्मी बढ़ते ही भगीरथ माझी और उनके पड़ोसी रमेश मांझी तथा उनका परिवार पेयजल की दिक्कतों का सामना कर रहा है। ये दोनों उन 200 दलितों तथा गरीब लोगों में से हैं, जो ‘माउंटेन मैन’ के गांव के निवासी हैं।
यहां जो मोटर पंप 2014 के मई में लगाया गया था, आधिकारिक भूल और अनेदखी के कारण पिछले ढाई महीने से काम नहीं कर रहा। यहां तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
ग्रामीणों के लिए यह पिछले दौर की वापसी है, जब उन्हें बिना पानी के कठिन वक्त का सामना करना पड़ता था। गया जिले का यह गांव पहले गहलौर कहलता था, लेकिन उसका नाम बाद में दशरथ मांझी के प्रसिद्ध होने पर उन पर रख दिया गया। इस प्रसिद्धि के कारण पेयजल की व्यवस्था की गई।
माउंटेन मैन ने अपने अकेले हाथों पहाड़ काट कर गांव के लिए सड़क बनाई थी। दिन-रात काम कर उन्होंने 360 फुट लंबा और 30 फुट चौड़ा रास्ता तैयार किया था।
मांझी ने यह कदम तब उठाया था, जब एकबार उनकी पत्नी घायल हो गई थीं और उन्हें नजदीकी अस्पताल में पहुंचने के लिए लंबा घुमावदार रास्ता लेना पड़ा था।
पिछले साल दशरथ नगर उस वक्त चर्चा में आया, जब बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने यहां का दौरा कर मदद का वादा किया। लेकिन इस दिशा में अभी कुछ खास नहीं हो पाया है।
मांझी का 2007 में निधन में हो गया था और उनकी भी इच्छा अपने पैतृक गांव का विकास करने की थी यानी यहां हर तरह की आधारभूत सुविधाएं हो, लेकिन यह सपना उनका जीवनर्पयत और उसके बाद भी सपना बन कर ही रह गया है।
दशरथ के बेटे भगीरथ ने आईएएनएस को बताया, “हम संघर्ष कर रहे हैं। हमें सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की कोई सुविधा नहीं है।”
भगीरथ ने कहा कि स्थानीय प्रशासन उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहा है।
उन्होंने कहा, “पंप हाउस बनाने तथा पानी की टंकी स्थापित करने के बाद हम बेहद खुश थे कि पेयजल की समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन यह गलत तरीके से उपलब्ध कराया गया।”
भगीरथ ने कहा कि टंकियां बनाने के तुरंत बाद तीन टंकियों में लीक होने लगा और शेष कुछ दिनों में ही काम के लायक नहीं रह गईं।
रमेश मांझी ने कहा कि स्थानीय लोग गर्मी के दिनों में काफी दूर से पीने का पानी लाते हैं।
उन्होंने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे गांव में अभी भी पेयजल की सुविधा नहीं है।”