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 ‘मुस्लिम जगत में ज्ञानार्जन को पुनर्जीवित कर सकते हैं विश्विद्यालय’ | dharmpath.com

Thursday , 12 June 2025

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‘मुस्लिम जगत में ज्ञानार्जन को पुनर्जीवित कर सकते हैं विश्विद्यालय’

इस्लामाबाद, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक अध्ययन में कहा गया है कि मुस्लिम जगत में विश्वविद्यालयों को अंक और स्थान की चिंता छोड़कर अधिक स्वायत्तता के साथ सच्ची वैज्ञानिक उत्कृष्टता के लिए कोशिश करनी चाहिए और खुद को बुद्धिजीवियों की पीठ में बदलना चाहिए।

इस्लामाबाद, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक अध्ययन में कहा गया है कि मुस्लिम जगत में विश्वविद्यालयों को अंक और स्थान की चिंता छोड़कर अधिक स्वायत्तता के साथ सच्ची वैज्ञानिक उत्कृष्टता के लिए कोशिश करनी चाहिए और खुद को बुद्धिजीवियों की पीठ में बदलना चाहिए।

मुस्लिम वर्ल्ड साइंस इनीशिएटिव द्वारा गठित अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के कार्यबल ने ये सिफारिशें की हैं। इस कार्यबल का गठन मुस्लिम जगत के विश्वविद्यालयों में विज्ञान की स्थिति का आकलन करने के लिए किया गया था।

अध्ययन में पाया गया कि आर्गनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपरेशन (ओआईसी) से संबद्ध देशों में विज्ञान की शिक्षा पर बेहद कम ध्यान दिया जाता है और छात्रों को लीक से हटकर सोचने के लिए बहुत कम प्रयास किया जाता है।

कार्यबल ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए व्यापक उदार शिक्षा दिलाने की सिफारिश की है। कार्यबल ने कहा है कि यह आज की दुनिया की जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है।

कार्यबल ने पाया कि शिक्षा की भाषा भी कई तरह की चुनौतियां पैदा करती है।

अध्ययन में पाया गया कि मुस्लिम जगत के विश्वविद्यालयों में शिक्षक अनुसंधान आधारित विज्ञान शिक्षा जैसे आधुनिक तरीकों के बारे में पढ़ाने के लिए ठीक से प्रशिक्षित नहीं हैं।

इस परियोजना के निदेशक अतहर ओसामा ने कहा कि मुस्लिम वर्ल्ड साइंस इनीशिएटिव का मकसद समुदाय के अंदर विज्ञान, समाज और इस्लाम के अंतरसंबधों के बारे में बहस शुरू करना है।

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