लखनऊ, 2 जुलाई (आईएएनएस/आईपीएन)। मूत्र नली में संकुचन से हर आयु वर्ग के महिला-पुरुष प्रभावित होते हैं। इस बीमारी में पेशाब में जलन, रक्त और मवाद आने लगता है। उत्तर प्रदेश में इस तरह के मामलों की संख्या हाल के कुछ वर्षो में जहां बढ़ी है, वहीं सबसे अहम बात है कि लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जबकि इसमें लापरवाही बरतने पर संक्रमण से किडनी फेल होना तय है।
लखनऊ, 2 जुलाई (आईएएनएस/आईपीएन)। मूत्र नली में संकुचन से हर आयु वर्ग के महिला-पुरुष प्रभावित होते हैं। इस बीमारी में पेशाब में जलन, रक्त और मवाद आने लगता है। उत्तर प्रदेश में इस तरह के मामलों की संख्या हाल के कुछ वर्षो में जहां बढ़ी है, वहीं सबसे अहम बात है कि लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जबकि इसमें लापरवाही बरतने पर संक्रमण से किडनी फेल होना तय है।
यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय कुलकर्णी के मुताबिक, अगर पेशाब की धार कम हो जाए, पेशाब करने में अधिक समय और जोर लगाना पड़े तो समझ लें मूत्र-नलिका संकरी हो गई है।
कई बार संक्रमण की वजह से मूत्र नलिका खराब हो जाती है। कभी-कभी यूरीन इंफेक्शन, चोट, पेशाब के रास्ते में लंबे समय तक नली पड़ने व असुरक्षित यौन संबंध से भी समस्या होती है। ऐसे में तत्काल यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें और यूरीन कल्चर कराएं।
डॉ. कुलकर्णी ने बताया कि नए शोध में यह बात पता चला है कि मूत्र संक्रमण का इलाज यूरेथ्रोप्लास्टी विधि से सर्जरी संभव है। इस सर्जरी में मूत्र-नलिका का निर्माण गाल एवं होंठ के अंदर के ऊतक (म्यूकोजा) से किया जाता है।