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मोदी के बाद शाह पर डोरे…

August 29, 2015 10:14 am by: Category: ब्लॉग से Comments Off on मोदी के बाद शाह पर डोरे… A+ / A-

296949-amit-shahप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही विश्व हिन्दी सम्मेलन का आगाज करने एक सरकारी कार्यक्रम में शिरकत करने भोपाल आ रहे हों, लेकिन संगठन में भी उनके इस प्रवास को यादगार बनाने के लिए कमर कस ली है। मोदी के देश के हृदय प्रदेश के जिस मंच से हिन्दी के प्रचार-प्रसार का आव्हान करेंगे उसी मंच पर संगठन ने स्वाभिमान रैली के लिए अमित शाह पर डोरे डालना शुरू कर दिया है। यह कार्यक्रम व्यापमं को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर करने के लिए युवा मोर्चा के बैनरतले होगा जिसका मकसद शिवराज की ब्रांडिंग कर उन्हें सही मायने में व्हिसल ब्लोअर साबित कर कांग्रेस खासकर दिग्विजय सिंह के खिलाफ आक्रामक रुख करना होगा। मकसद युवा कांग्रेस की उन संभागीय रैलियों की हवा निकालना भी है जिसका आगाज कमलनाथ जबलपुर से कर रीवा की ओर कदम बढ़ाने वाले हैं। सवाल उठना लाजमी है कि नरेंद्र मोदी के बाद यदि अमित शाह यदि भोपाल आएंगे तो क्या शिवराज पर तीन उपचुनाव जीतने का दबाव नहीं बढ़ जाएगा?

पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर के मौके पर युवा मोर्चा जब राष्ट्रीय स्तर पर पंचक्रांति योजना का एक बड़ा कार्यक्रम अपने हाथ में लेने जा रहा है तब मध्यप्रदेश में स्वाभिमान रैली की तैयारियां जोरों पर हैं। इस कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की मौजूदगी सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है। जिस लाल परेड मैदान पर ये रैली होगी वहां दो दिन पहले तक विश्व हिन्दी सम्मेलन की चहलपहल रहेगी जिसका आगाज 10 सितंबर को मोदी करेंगे तो समापन में राजनाथ सिंह और अमिताभ बच्चन जैसी हस्तियां मौजूद रहेंगी। ऐसे में युवा मोर्चा की स्वाभिमान रैली की टाइमिंग और स्थान लाल परेड मैदान का चयन ये साबित करता है कि वो मैदान के इस मंच को भुनाने की जुगत में है जहां केंद्रीय विदेश मंत्रालय के आव्हान पर विश्व के 50 से ज्यादा देशों के विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे। निश्चित तौर पर विवादों से बचने के लिए युवा मोर्चा स्वाभिमान रैली के कार्यक्रम के लिए मैदान को बाकायदा किराए पर ले सकता है लेकिन यदि पंडाल वो ही रहा जिसके समापन के बाद अगले 2 दिन में हटाए जाने की संभावनाएं कम हैं। यहां सवाल और भी खड़े होते हैं कि आखिर प्रदेश युवा मोर्चा और उसके मुखिया अमरदीप मौर्य जल्दबाजी में क्यों हैं? शायद उनके नेतृत्व में युवा मोर्चा के खाते में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होना एक वजह है जिन्होंने संगठन चुनाव शुरू होने से पहले यानी अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले एक बड़े कार्यक्रम की योजना बनाई है। इंदौर से विद्यार्थी परिषद और बाद में पूर्णकािलक के तौर पर सियासत में कदम रखने वाले मौर्य की गिनती संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन के खास पट्टों में होती है जो अभी तक कोई छाप नहीं छोड़ पाए हैं जबकि जीतू जिराती से लेकर विश्वास सारंग ने मोर्चा की अहमियत का अहसास कराया है। अमरदीप के लिए ये मौका है कि वो अपनी उपयोगिता साबित करें। वो चाहते तो व्यापमं के मुद्दे पर शिवराज जो बात जनता के बीच जाकर कह रहे हैं अमरदीप और उनकी टीम इसे आंदोलन का स्वरूप देकर गांव, गली, चौराहों तक ले जा सकती थी जो अभी तक नहीं हुआ। बेहतर होता मोर्चा अपनी ताकत दिखाने से पहले और अमरदीप शक्तिप्रदर्शन करने से पहले प्रदेश के युवाओं के बीच में जाते। शायद उसे अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश के चलते संगठन स्वाभिमान रैली कराने जा रहा है। निश्िचत तौर पर मुद्दा व्यापमं होगा और शिवराज समेत दूसरे नेता इस मंच से युवाओं को कांग्रेस की करतूतों और बीजेपी सरकार की सार्थक सोच और नीतियों का गुणगान करेंगे। कुल मिलाकर जब स्वाभिमान रैली में नेता हुंकार भरेंगे तब उपचुनाव का आगाज हो चुका होगा और कार्यक्रम मोर्चा तक सिमटकर नहीं रहेगा बल्कि पूरा संगठन इसे सफल बनाने में जुटेगा।

बीजेपी का लक्ष्य व्यापमं को लेकर शिवराज और उनकी सरकार के खिलाफ बनाए गए माहौल से प्रदेश को बाहर निकालना और कांग्रेस के दुष्प्रचार पर पलटवार करने तक सीमित नहीं है। इसके पीछे मकसद सिर्फ मोदी को भरोसे में लेना ही नहीं बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भी मध्यप्रदेश की पीठ थपथपाने के लिए मजबूर करना है। युवा मोर्चा ने एक लाख से ज्यादा भीड़ जुटाना का दावा ठोक दिया है जिसके जरिए अमरदीप अपनी नई पारी के लिए ताना-बाना भी बुनेंगे। यहां सवाल ये खड़ा होता है कि क्या इस रैली को लेकर अमित शाह और अनुराग ठाकुर ने आने की मंजूरी दे दी है? युवा मोर्चा राष्ट्रीय स्तर पर पंचक्रांति कार्यक्रम का आगाज जोरशोर से मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर या उससे पहले 11 सितंबर को करने की योजना बना रहा है ऐसे में मध्यप्रदेश में स्वाभिमान रैली का मकसद यदि शिवराज को ताकत देना और 3 उपचुनाव के लिए माहौल बनाना है तो इसे हाईकमान कितनी गंभीरता से लेगा?

स्वाभिमान यात्रा का ऐलान बीजेपी संगठन ने किया था जिसका नेतृत्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को करते हुए प्रदेश दौरे पर निकलना था। लेकिन या तो इसे जरूरी नहीं समझा गया या फिर परिस्थितियांजन्य ही सही हाईकमान की अनुमति का भी इंतजार है। युवा मोर्चा ने शिवराज को सामने रखकर इस नाम को लपककर अपना शायद स्वाभिमान बचाने की रणनीति बनाई है। लेकिन वो ये भूल गई कि लाल परेड मैदान पर राजनीतिक कार्यक्रमों की अनुमति लेना उनके लिए आसान नहीं होगा। वह भी उस कार्यक्रम स्थल लाल परेड मैदान की जहां महीनेभर की तैयारी के बाद भी विश्व िहन्दी सम्मेलन की तैयारी पूरी नहीं हो पाई है। चुनौती अमरदीप ही नहीं बीजेपी के रणनीतिकारों के लिए होगी कि वो एक लाख की भीड़ जुटाने के दावे पर खरा उतरकर दिखाएं। उन्हें ध्यान रखना होगा कि कांग्रेस ने संभागीय रैलियों की शुरुआत कर व्यापमं पर ही हल्ला बोल रही है ऐसे में युवा कांग्रेस और युवा मोर्चा के कार्यक्रम, नेतृत्व, सहभागिता, संदेश और सफलता का आंकलन किया जाएगा।

राकेश अग्निहोत्री जी के ब्लॉग सवालदरसवाल से 

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