नई दिल्ली, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। युवा भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के लिए एक प्रभावी और दुष्प्रभाव रहित दवा तैयार कर रही है। वैज्ञानिकों को बहुत जल्द यह दवा विकसित कर लेने की उम्मीद है।
रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस जोड़ों की एक गंभीर समस्या है, जिसके प्रभावी उपचार के बहुत कम विकल्प उपलब्ध हैं। भारत में एक करोड़ से अधिक लोग इस ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित हैं। इसमें शरीर की रक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊत्तकों के खिलाफ काम करने लगती है।
एक टॉक्सिकोलॉजिस्ट और टीम के प्रमुख शोधकर्ता अंकित तंवर ने कहा कि उन्होंने रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के लिए सबसे प्रभावी जड़ी बूटियों की खोज करने के लिए डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) और जामिया हमदर्द की मदद से इस परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया है।
राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2015) में युवा वैज्ञानिकों के सम्मेलन में तंवर ने दावा किया कि उन्होंने रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस की अधिक कारगर दवा बनाने के लिए अनुकूल जड़ी बूटियों की खोज करने के लिए दुनिया में पहली बार एक गणितीय मॉडल विकसित किया है।
तंवर ने कहा कि टीम ने विभिन्न देशों और भारत के विभिन्न भागों से 50 संभावित प्रभावशाली जड़ी बूटियों की पहचान की और उनमें से 11 को चुना।
जामिया हमदर्द, दिल्ली के मेडिकल एलिमेंटोलॉजी एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग के सहयोग से टीम अब स्तनधारी मॉडल पर अपनी हर्बल औषधि का परीक्षण करने के लिए काम कर रही है।
अब तक के परिणाम से पता चला है कि यह नया उत्पाद न सिर्फ रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस की रोकथाम और इलाज कर सकेगा, बल्कि किसी भी संभावित संक्रमण से देखभाल भी करेगा। साथ ही यह गंभीर रोगियों के इलाज में भी कारगर साबित होगा।
रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के गंभीर मामले में जोड़ों में जलन के साथ अत्यधिक दर्द, जोड़ों में क्षति और हड्डियों में तेजी से नुकसान के कारण रोगी को अत्यधिक तकलीफ होती है।
रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस रोग के पनपने से वर्षो पहले इसके प्रति संवेदनशीलता का पता लगाना संभव है। इसका अर्थ यह है कि सही दवा उपलब्ध होने पर इसके प्रति संवेदनशील व्यक्ति में इसकी शुरुआत को कई वर्षो तक टाला जा सकता है। साथ ही बीमारी का अच्छी तरह से इलाज भी किया जा सकता है।
रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के विकास को रोकने के लिए दर्द निवारक, स्टेरॉयड और संशोधक दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल करके ऑटोइम्युनिटी को दबाने और जोड़ों को बाद में होने वाले क्षय से सुरक्षा देने के अवांछित प्रभाव हो सकते हैं। इससे ऑटोइम्युनिटी को दबाने से संबंधित संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इस स्थिति के लिए हर्बल दवाओं के एक गैर विषैले और प्रभावी उपचार की खोज की जा रही है।