लखनऊ , 13 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में बेमौसम बारिश से प्रभावित हुए किसानों को राहत देने के मामले में लापरवाही उजागर होने के बाद राज्य सरकार जाग गई है। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सोमवार को निर्देश जारी किया कि प्रभावित किसान को 1500 रुपये से कम राशि का चेक कतई न दिया जाए।
मुख्य सचिव ने सूबे समस्त मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में चक्रवाती तूफान के कारण अतिवृष्टि व ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को राहत उपलब्ध कराने में किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर जिलाधिकारी सीधे जिम्मेदार होंगे।
उन्होंने कहा कि लापरवाही पाए जाने पर जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों को भी दंडित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को यह प्रत्येक दशा में सुनिश्चित करना होगा कि प्रभावित किसानों को राहत तत्काल उपलब्ध कराई जाए तथा राहत वितरण के लिए प्राप्त राशि का वितरण यथाशीघ्र सुनिश्चित कराया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रभावित जनपदों के किसी भी जिलाधिकारी का अवकाश कतई नहीं स्वीकृत किया जाय और यदि किसी भी प्रभावित जनपद के जिलाधिकारी पूर्व से अवकाश में हों तो तत्काल नई तैनाती कर दी जाए, ताकि प्रभावित किसानों को तत्काल राहत प्रदान करने में किसी प्रकार की असुविधा न होने पाए।
गौरतलब है कि बैमौसम बारिश से बर्बादी के कगार पर पहुंचे उप्र के किसानों को मुआवजे के नाम पर अधिकारियों द्वारा छला जा रहा था। आरोप है कि फैजाबाद के कुछ किसानों को मुआवजे के तौर पर 75 रुपये का चेक दिया गया। कुछ अन्य किसानों को 100, 125, 150 व 230 रुपये के चेक मिले हैं।
कई जगहों पर मर चुके लोगों के नाम पर भी चेक बना दिए गए हैं तो कहीं पर कब्रिस्तान की जमीन पर भी चेक बने हैं। इसी तरह बांदा के किसानों को 600 से 700 रुपये का चेक मिला है।