कोलकाता, 7 फरवरी (आईएएनएस)। भारत की लंबी दूरी की धाविका सुधा सिंह ने सभी अटकलों को विराम देते हुए रियो ओलम्पिक की मैराथन स्पर्धा में हिस्सा लेने की पुष्टि कर दी।
कोलकाता, 7 फरवरी (आईएएनएस)। भारत की लंबी दूरी की धाविका सुधा सिंह ने सभी अटकलों को विराम देते हुए रियो ओलम्पिक की मैराथन स्पर्धा में हिस्सा लेने की पुष्टि कर दी।
सुधा पिछले वर्ष दिसंबर में हुई टाटा स्टील 25 किलोमीटर रेस की विजेता रहीं और मुंबई मैराथन में हमवतन ललिता बाबर और ओ. पी. जैयशा को पछाड़ते हुए सातवें स्थान पर रहीं।
इससे पहले हालांकि ऐसी खबरें आई थीं कि वह अपनी पसंदीदा 3,000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा की जगह मैराथन पर अपना सारा ध्यान केंद्रित करने के निर्णय पर अपने कोच निकोलाई स्नेसारेव से नाराज चल रही थीं।
सुधा ने ऊटी से फोन पर आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “मैं रियो ओलम्पिक की मैराथन स्पर्धा में हिस्सा लूंगी। इसलिए अब मेरा पूरा ध्यान इसी पर लगा हुआ है। मैंने पिछली कुछ प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन किया है और अब मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं।”
चीन में पिछले वर्ष हुए विश्व चैम्पियनशिप में सुधा ने दो घंटा 35.35 मिनट का समय निकालते हुए रियो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया। विश्व चैम्पियनशिप में सुधा 19वें स्थान पर रही थीं हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई है कि वह रियो में बेहतर करेंगी।
सुधा ने कहा, “मुझे नहीं पता कि मैं वहां पदक जीत पाऊंगी या नहीं। लेकिन मैं कड़ी चुनौती पेश करूंगी। मैंने पिछले वर्ष की अपेक्षा काफी सुधार किया है और उम्मीद है कि रियो में और बेहतर कर पाऊंगी।”
उत्तर प्रदेश के रायबरेली की रहने वाली सुधा 3,000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी हैं और उन्होंने कहा कि अभी भी यह स्पर्धा उनकी पसंदीदा स्पर्धा है।
सुधा ने कहा, “मैं साथ-साथ 3,000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा के लिए भी अभ्यास कर रही हूं। हालांकि इस स्पर्धा के लिए मैं ओलम्पिक में क्वालीफाई नहीं कर पाई, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि अप्रैल में जब इसके लिए क्वालीफाईंग शुरू होंगे तो मैं क्वालीफाई कर लूंगी।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने स्टीपलचेज से ही अपने करियर की शुरुआत की। इसलिए मैं इसमें लगातार सुधार करते रहना चाहती हूं।”
रियो ओलम्पिक के लिए चल रही तैयारियों पर सुधा ने बताया, “मैं रोज तड़के अभ्यास शुरू कर देती हूं और करीब साढ़े तीन घंटे जमकर अभ्यास करती हूं। इसके बाद शाम में दो से ढाई घंटे का प्रशिक्षण लेती हूं। सप्ताह में करीब 270 किलोमीटर की दौड़ लगा रही हूं।”
एशियाई खेलों-2010 में स्वर्ण पदक जीत चुकीं सुधा ने कोच सेनसारेव की जमकर सराहना की और कहा कि उन्होंने एक परिपक्व खिलाड़ी बनने में उनकी काफी मदद की।
सुधा ने कहा, “उन्होंने (सेनसारेव) ने मुझे परिपक्व खिलाड़ी बनने में मदद की। उन्होंने मुझे करियर में आगे बढ़ने में मदद की। उनके लिए अनुशासन सबसे ऊपर है। वह जितने सुझाव देते हैं मैं उन सभी का पालन करने की कोशिश करती हूं।”