इस सैन्याभ्यास को ‘जाइंट सी-2015 (2)’ नाम दिया गया है। यह सैन्याभ्यास ‘पीटर ऑफ द ग्रेट गल्फ’ और जापानी सागर में 20 अगस्त से 28 अगस्त तक चलेगा। चीन और रूस का यह इस साल दूसरा नौसेना सैन्याभ्यास है।
इससे पहले जारी रपटों में कहा गया था कि दोनों देशों की नौसेनाएं पनडुब्बी रोधी क्षमता, वायु सुरक्षा और अन्य संबंधित मिशनों में शामिल होंगी। इस दौरान दोनों नौसेनाओं की कौशल क्षमता बढ़ाने के लिए समुद्रतट पर लैंडिंग की योजना भी बनाई गई है।
अभियान से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस सैन्याभ्यास का आयोजन किसी तीसरे पक्ष को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है।
चीनी बेड़े में सतह वाले सात जहाज शामिल हैं। सैन्याभ्यास में चीन की ओर से छह हेलीकॉप्टर, पांच विमान, जल एवं थल दोनों में काम आने वाले उपकरणों की 21 इकाइयां तथा 200 पनडुब्बियां हिस्सा लेंगी।
रूस की नौसेना इस सैन्याभ्यास में हिस्सा लेने के लिए सतह वाले 16 जहाज, दो पनडुब्बी, जल एवं थल दोनों में काम करने वाले उपकरणों की नौ इकाइयां तथा 200 पनडुब्बियां भेजेगी।
इससे पहले, चीन-रूस नौसेना सैन्याभ्यास ‘ज्वाइंट सी-2015 (1)’ का आयोजन मई में भूमध्यसागर में किया गया था।