सभा में परिषद के संयोजक रामकृष्ण ने रोहित वेमुला को मानसिक रूप से दी गयी जातिवादी प्रताड़ना की कटु आलोचना करते हुए केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने की अपील की और कहा कि रोहित को आत्महत्या पर मजबूर करने वालों के खिलाफ जांच कर उदाहरण मूलक सजा सुनिश्चित करंे।
वहीं सभा में शामिल यादवेन्द्र पाल ने कहा कि रोहित की आत्महत्या एक प्रशासनिक हत्या है। यह केवल अकेली घटना नहीं बल्कि आए दिन हो रही घटना है जोकि शिक्षा के व्यापारिकरण व साम्प्रदायिकरण के गठजोड़ का नतीजा है। उन्होने विश्वविद्यालयों व कालेजों मे लोकतंत्र के बहाली की मांग की।
नागरिक परिषद के ओपी सिन्हा ने कहा कि देश में लागू नई नीतियों के तहत शिक्षा को पूरी तरह एक धंधा बना दिया गया है। मौजूदा सरकार में इस धंधे का साम्प्रदायिक गठजोड़ बना है। उसने शैक्षणिक संस्थानों के लोकतांत्रिक चरित्र को पूरी तरह खत्म कर दिया है। हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित की आत्महत्या लोकतंत्र और नवीन विचारों का गला घोंटने का नतीजा है।
उन्होंने कहा कि यह घटना एक चेतावनी है कि अब हम शैक्षणिक संस्थानों में लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष शुरू करें। प्रदर्शन मंे शामिल लोगों ने रोहित के परिजनों के साथ अपनी गहरी संवेदना जाहिर की।