नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में चल रहे त्रिदिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल 2018 के दूसरे दिन मैथिली के युवा कवि रमण कुमार सिंह के कविता संग्रह फेर सं हरियर पर चर्चा हुई। वरिष्ठ कवि एवं समालोचक विद्यानंद झा ने कहा कि रमण कुमार सिंह की कविता जनपक्षधरता की कविता है जिसमें श्रम की महत्ता को संजीदगी से रेखांकित किया गया है।
विद्यानंद झा ने कहा कि रमण वैद्यनाथ मिश्र यात्री की जनपक्षधर परंपरा के कवि हैं। रमण की कविताएं प्रेम, संघर्ष, बाजारवाद, मूल्यों के क्षरण आदि को रेखांकित करती हुई कविता के नए गवाक्ष खोलती है। वहीं युवा कवि शैलेंद्र शैल ने कहा कि रमण प्रेम आ संघर्ष के कवि हैं। उनकी कविताएं जनपक्षधरता की बात तो करती ही है, जीवन में प्रेम और संवेदना की जरूरत को भी रेखांकित करती है।
शैली ने फेर से हरियर, सुनू प्रीति, गृहस्थ राग, आदिवासी सहित कई कविताओं का जिक्र किया और रमण की कविताओं के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। मंच संचलन करते हुए युवा कवि विनीत उत्पल ने कहा कि रमण की कविताएं रचनात्मक सुख प्रदान करती हैं। उनकी कविता में स्त्री, बच्चा और बुजुर्ग की चिंताओं को स्वर मिला है। ऐसे दौर में जब प्रतिरोध और असहमति की आवाज को दबाया जा रहा है, उनकी कविता विवेकपूर्ण प्रतिरोधी और असहमति की आवाज को बुलंद करती है। रमण की कविता समाज के दलित, वंचित ऐवं दुखी वर्ग के हित की बात करती है।
पुस्तक चर्चा के इस विशेष सत्र में मैथिली के साहित्यकार शिवशंकर श्रीनिवास, अशोक, विभूति आनंद, सारंग कुमार, शुभेंदु शेखर, रमेश, अजीत आजाद उपस्थित थे।