नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) अफसर शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल ई.के.निरंजन का बचाव किया। उन्होंने कहा कि निरंजन ने पठानकोट के वायुसैनिक अड्डे में बम को निष्क्रिय करने में सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन किया था।
बम को निष्क्रिय करने के विशेषज्ञ निरंजन की उस वक्त मौत हो गई थी जब पठानकोट के हमले में मारे गए एक आतंकी के शव में लिपटा विस्फोटक फट गया था।
जनरल सिंह का बयान मीडिया में ऐसी रपट आने के बाद आया जिसमें कहा गया है कि शहीद अफसर निरंजन ने स्थिति को काबू में करने में लापरवाही से काम लिया था।
जनरल सुहाग ने कहा, “मैंने इस बारे में सैन्य कमांडर से बात की है..उन्होंने भी घटनास्थल पर इसकी पूरी जानकारी ली है..उन्होंने (शहीद अफसर ने) सभी प्रक्रियाओं का पालन किया था। जो भी तरीका निर्धारित किया गया है, उन्होंने उस पर अमल किया था। आज मेरे और आपके लिए यह तय करना बहुत मुश्किल है कि कौन सी गलती हुई थी।”
उन्होंने कहा, “हो सकता है कि शव पर कोई ऐसा चोर- फंदा (बूबी ट्रैप) रहा हो जिसके होने की उन्हें आशंका न रही हो। और, बावजूद इसके कि हिदायतों पर अमल किया गया, दुर्भाग्य से यह हो गया..अन्यथा, मैं यह कहना चाहूंगा कि यह अफसर (शहीद निरंजन) इस तरह की स्थितियों को संभालने के मामले में सर्वाधिक काबिल अफसर थे।”
उन्होंने कहा कि अफसर अनुभवी थे, इस स्थिति से निपटने में सबसे बेहतर थे, लेकिन चोर-फंदे का शिकार हो गए।
जनरल सिंह ने कहा, “मैं आपको बताना चाहता हूं कि वह साल में 3500-4500 किलो विस्फोटक संभालते थे। मुझे लगता है कि इस स्थिति से निपटने के लिए उनसे बेहतर कोई और नहीं था।”
उन्होंने कहा कि यह हादसा उस वक्त हुआ जब रात का अंधेरा घिर रहा था। जनरल सिह ने कहा कि उन्होंने पश्चिमी सैन्य कमान के प्रमुख को निर्देश दिया है कि इस तरह के शवों को रात घिरने पर नहीं जांचा जाए। जो भी करना है, उसे दिन में बम निरोधक दस्ते द्वारा किया जाए।
2 जनवरी को पठानकोट के वायुसैनिक अड्डे पर आतंकी हमले में सात सुरक्षा कर्मी शहीद हुए थे। इनमें से सिर्फ एक की मौत आतंकवादियों से मुकाबले में हुई। पांच की मौत भोजनशाला में आतंकियों की गोलीबारी में हुई।
सेना प्रमुख ने कहा, “ज्यादातर मौतें शुरुआती फायरिंग में हुईं। डिफेंस सर्विस कोर के एक कर्मी ने एक आतंकवादी को दौड़ाया, उसकी राइफल छीनकर उसे गोली मार दी। दुर्भाग्य से वह अन्य आतंकियों की गोलीबारी में मारे गए।”
सुरक्षा कर्मियों ने हमला करने वाले सभी छह आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था। माना जा रहा है कि ये सभी पाकिस्तानी थे।