Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 सुषमा स्वराज ने इजराइल से बढ़ाई करीबी | dharmpath.com

Wednesday , 11 June 2025

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » धर्मंपथ » सुषमा स्वराज ने इजराइल से बढ़ाई करीबी

सुषमा स्वराज ने इजराइल से बढ़ाई करीबी

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले दिनों दो महत्वपूर्ण विदेश यात्राएं कीं। पहले वह इजराइल गईं। यहां ़िद्वपक्षीय संबंधों को बढ़ाने पर सहमति बनी। इसके बाद वह मनामा गईं। यहां उन्होंने अरब लीग की बैठक में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी मुलाकात की।

उन्होंने विश्वास दिलाया कि भारत का समर्थन फिलिस्तीन को मिलता रहेगा। इन यात्राओं से भारत ने जहां स्पष्ट किया कि सरकार बदलने के बाद भी अरब जगत और फिलिस्तीन के संबंध में उसकी परंपरागत विदेश नीति जारी रहेगी और भारत अरब देशों से बेहतर संबंधों के साथ-साथ फलस्तीन की स्वतंत्रता का हिमायती है, वहीं इसराइल के साथ खासतौर पर उन मुद्दों पर सहयोग बढ़ाया जाएगा, जो भारत के राष्ट्रीय हित में है।

राष्ट्रीय हित के इन बिंदुओं की तलाश पहले की जा चुकी थी, लेकिन पिछली सरकारों में इजराइल के साथ संबंधों को लेकर एक प्रकार का संकोच था। इसे वह वोट बैंक की राजनीति से भी जोड़कर देखते थे। इसलिए आवश्यकता महसूस करने के बावजूद उन्हें सही दिशा में कदम बढ़ाना मंजूर नहीं था, जबकि कई अरब देशों ने इजराइल से समझौते या द्विपक्षीय वार्ताएं की हैं। वैसे भी विदेश नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देना होता है। वोट बैंक की राजनीति से इसे जोड़कर देखना अनुचित था।

सुषमा स्वराज ने अरब जगत और फिलिस्तीन के साथ भारत की परंपरागत विदेश नीति को प्रभावी ढंग से जारी रखते हुए, इजराइल के साथ भी सहयोग बढ़ाने की शुरुआत की है। इसका परीक्षण भी सफल रहा।

वह पहले इजराइल गई थीं। इस यात्रा का कोई भी प्रतिकूल प्रभाव उनकी फिलिस्तीन और मनामा यात्रा पर नहीं पड़ा। यहां भारत के विचारों का स्वागत किया गया।

यरुशलम में सुषमा स्वराज ने इजराइल के शीर्ष नेताओं से आतंकवाद सहित द्विपक्षीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर वार्ता की। सुषमा की यात्रा को वहां अहमियत दी गई। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन ने सुषमा के साथ विभिन्न मसलों पर विचार-विमर्श किया। दोनों आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। इसे सुषमा की यात्रा की बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है।

दोनों ही देश सीमा पार के आतंकवाद का सामना कर रहे हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच समन्वय से लाभ होगा। इस संबंध में सूचना का आदान-प्रदान सुगम बनाया जाएगा। इसके अलावा इस यात्रा के माध्यम से सुषमा ने उन क्षेत्रों की भी जानकारी ली, जिस पर दोनों देश सहयोग बढ़ा सकते हैं। नेतन्याहू ने भारत को विशेष देश माना और कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने का वह विशेष प्रयास कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इजराइल यात्रा पर गए थे। उसी समय यह तय हो गया था कि दोनों देशों के बीच सहयोग को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जाएगा। यह भारतीय राष्ट्राध्यक्ष की पहली विदेश यात्रा थी।

सीमा पार का आतंकवाद भारत की बड़ी समस्या है। इसके मुकाबले की रणनीति में इजराइल महत्वपूर्ण सहयोगी हो सकता है। उसने सफलतापूर्वक ऐसी हिंसक हरकतों का मुकाबला किया है। यह अच्छा है कि भारत सरकार इजराइल की तर्ज पर पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर तारबंदी की संभावना तलाश रही है।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह नवंबर 2014 में इजराइल गए थे। तब उन्होंने सीमा सुरक्षा में इजराइली तकनीक की जानकारी ली थी। खासतौर पर गाजा सीमा पर इजराइल ने उच्च तकनीक युक्त सुरक्षा प्रणाली स्थापित की है।

इजराइल के पास विश्व की बेहतरीन सीमा सुरक्षा प्रणाली है। यह मनुष्य पर कम तकनीक पर ज्यादा आधारित है। ऐसे में अपने जवानों तथा सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों का जीवन सुरक्षित रखते हुए आतंकवादियों और घुसपैठियों को आसानी से जवाब दिया जा सकता है।

सीमा पार के आतंकवाद को रोकने के लिए इजराइल से बहुत पहले ही सहयोग की पहल होनी चाहिए थी। इससे पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर अब तक उच्च तकनीक की सुरक्षा प्रणाली स्थापित हो सकती थी, लेकिन इस दिशा में गंभीरता से प्रयास नहीं किए गए। सुषमा स्वराज की यात्रा से इस मुद्दे पर प्रगति की संभावना बनी है।

इजराइल के साथ मिलकर उच्च तकनीक प्रणाली युक्त सीमा सुरक्षा प्रणाली स्थापित करना अपरिहार्य है। इसका यह मतलब नहीं कि फिलिस्तीन के संबंध में भारत अपनी पुरानी नीति से पीछे हट रहा है। दोनों पर एक साथ अमल किया जा सकता है।

एक-दूसरे को परस्पर विरोधी मान लेना गलत था। इसके चलते भारत पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर अब तक इजराइल जैसी सुरक्षा प्रणाली स्थापित नहीं कर सका।

सुषमा स्वराज ने यह प्रमाणित किया कि इजराइल से सहयोग और फिलिस्तीन को समर्थन की नीति एक साथ चल सकती है। इसी का परिणाम है कि फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने स्वीकार किया कि भारत पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया में शामिल है। उसका योगदान महत्वपूर्ण है।

फिलिस्तीन के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। सुषमा स्वराज ने कुदस यूनिवर्सिटी में भारत-फिलिस्तीन डिजिटल लर्निग एंड इनोवेशन सेंटर का उद्घाटन किया। यहां सुषमा ने फिलिस्तीन के साथ भारत की एकजुटता का संदेश दिया।

मनामा में भारत और अरब लीग ने आतंकवाद की निंदा की तथा इसको रोकने के लिए संयुक्त रणनीति बनाने की हिमायत की। यहां सुषमा स्वराज ने अरब लीग के सदस्य मिस्र, इराक, सऊदी अरब, लेबनान, यमन, जॉर्डन सीरिया, लीबिया, सूडान, मोरक्को, ट्यूनीशिया, कुवैत अल्जीरिया, बहरीन, ओमान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, मोस्लानिया, सोमालिया, फिलिस्तीन, जिबूती और को मोरोस के नेताओं से वार्ता की।

सुषमा स्वराज की इस यात्रा को सफल और उपयोगी माना जा सकता है।

सुषमा स्वराज ने इजराइल से बढ़ाई करीबी Reviewed by on . डॉ. दिलीप अग्निहोत्रीडॉ. दिलीप अग्निहोत्रीविदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले दिनों दो महत्वपूर्ण विदेश यात्राएं कीं। पहले वह इजराइल गईं। यहां ़िद्वपक्षीय संबंधो डॉ. दिलीप अग्निहोत्रीडॉ. दिलीप अग्निहोत्रीविदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले दिनों दो महत्वपूर्ण विदेश यात्राएं कीं। पहले वह इजराइल गईं। यहां ़िद्वपक्षीय संबंधो Rating:
scroll to top