सरकार के एक प्रवक्ता ने 14 जनवरी को होने वाली शांति वार्ता का हवाला देते हुए कहा, “हम इस महीने के अंत तक संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित शांति वार्ता का अगला दौर स्थगित करने की योजना बना रहे हैं।”
प्रवक्ता ने कहा, “शिया हौती विद्रोही संगठन और उनके सहयोगियों ने विश्वास बहाली की प्रमुख बातों का पालन नहीं किया, जिसमें शीर्ष राजनीतिक कैदियों की रिहाई और तैज में सड़कों को सुरक्षित यातायात के लिए खोलना शामिल है।”
इस बीच, विद्रोही पूर्व प्रधानमंत्री अली अब्दुल्ला सालेह ने शुक्रवार रात युद्ध जारी रखने तथा यमन के प्रदेशों से सऊदी के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना व उनके सहयोगियों को देश से बाहर करने की प्रतिबद्धता जताई।
सालेह ने कहा, “हम तभी शांति वार्ता शुरू करेंगे, जब समुद्री नाकेबंदी हटाई जाए और विदेशी सैनिक यमन से चले जाएं।”
गरीबी से जूझ रहे अरब देश यमन में सितबंर 2014 से ही हिंसा जारी है, जब शिया हौती संगठन ने राजधानी साना पर हमला करते हुए राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी को निष्कासन के लिए मजबूर कर दिया था।
यह हिंसा जल्द ही गृहयुद्ध में बदल गई, जिसमें सरकार समर्थक बल और पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह समर्थित शिया हौती विद्रोहियों के बीच संघर्ष जारी है। इसके बाद सऊदी अरब के नेतृत्व में हादी सरकार की वैधता बहाल करने के लिए यमन में हवाई हमले शुरू हुए।