(अनिलसिंह) भोपाल-“ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन – समाधान की ओर” सम्मलेन में आज आध्यात्मिक चेतना के प्रणेता श्री श्री रविशंकर जी ने अपना उद्बोधन दिया.इस अवसर पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,राज्यसभा से सांसद अनिल माधव दवे विधानसभा अध्यक्ष और मंत्रिगण उपस्थित थे.मप्र विधानसभा में चल रहे इस दो दिवसीय सम्मलेन में श्री श्री रविशंकर जी को सुनने के लिए भारी भीड़ थी विधानसभा का सभागार खचाखच भरा हुआ था.
रविशंकर जी ने अपने उद्बोधन की शुरुआत संस्कृत के श्लोक से की.उन्होंने कहा की शिवराज जी ने सभी बातें पहले ही कह दीं और शंखनाद हेतु मुझे शंख पकड़ा दिया.उन्होंने आगे कहा की यह सिर्फ सम्मलेन नहीं प्रदूषण के खिलाफ युद्ध है.असहिष्णुता पर बोलते हुए वे बोले की हाँ हमें असहिष्णुता चाहिए अब बहुत हो चुका लेकिन अन्याय,अधर्म और प्रदूषण के प्रति असहिष्णुता चाहिए .जहाँ असहिष्णुता चाहिए होती है वहां नहीं होती और जहाँ नहीं चाहिए वहां होती है.
शिव को प्रसन्न करने के लिए हमें उनके पञ्च भूतों को खुश करना होगा विष तो महादेव स्वयं पी लेते हैं.इन्हीं पञ्च भूतों से यह सृष्टि बनी है.गाय की पूजा हम ठीक से नहीं करते उसे कपूर,रोरी,तिलक लगा पीड़ा पहुंचाते हैं उसकी सेवा ही उसकी पूजा है.हम पर्यावरण के प्रति शंखनाद अपने -अपने गाँव से ही शुरू कर den यही सच्ची पूजा है.गणपति एवं दुर्गा प्रतिमा के निर्माण में इस बार प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल हुआ यह ख़ुशी की बात है.
रविशंकर जी ने कहा की सनातनी परंपरा ख़त्म तो नहीं ख़त्म सा हो गयी है हमने पर्यावरण का मर्म नहीं समझा हम पशुओं का आदर करते थे आज पशुओं से भी गया बीता व्यवहार कर रहे हैं.
इस सम्मलेन को लेकर उन्होंने कहा की मंथन होना चाहिए इससे समाज का मंगल होता है.