ग्वालियर, 7 अगस्त (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश क्या, देश के हर हिस्से में अपराधों को रोकने में अहम भूमिका पुलिस जवानों की होती है, मगर सफलता का श्रेय उनके खाते में कम ही आता है। यही कारण है कि ग्वालियर जिले के पुलिस अधीक्षक हरि नारायण चारी मिश्रा ने पुलिस जवानों में जोश भरने के और सफलता के श्रेय देकर उन्हें सम्मानित करने के लिए ‘कॉप ऑफ द वीक’ अवार्ड योजना शुरूकी है।
ग्वालियर, 7 अगस्त (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश क्या, देश के हर हिस्से में अपराधों को रोकने में अहम भूमिका पुलिस जवानों की होती है, मगर सफलता का श्रेय उनके खाते में कम ही आता है। यही कारण है कि ग्वालियर जिले के पुलिस अधीक्षक हरि नारायण चारी मिश्रा ने पुलिस जवानों में जोश भरने के और सफलता के श्रेय देकर उन्हें सम्मानित करने के लिए ‘कॉप ऑफ द वीक’ अवार्ड योजना शुरूकी है।
राज्य में ग्वालियर-चंबल वह इलाका है, जिसकी पहचान कभी डकैत प्रभावित क्षेत्र के तौर पर रही है, मगर वर्तमान दौर में ऐसा नहीं है। मगर इस इलाके में दूसरे अपराध भी काफी हो रहे हैं। इन पर अंकुश लगाने से लेकर अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की जिम्मेदारी आरक्षक (कांस्टेबल) से लेकर उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) तक पर होती है।
हर मोर्चे पर, चाहे थाने की साफ सफाई हो या थाने आने वाले लोगों की समस्याओं को सुनना, उन्हें संतुष्ट करना हो, इस वर्ग पर दिन प्रति दिन की कार्यवाहियों को निपटाने का जिम्मा होता है और पुलिस की छवि भी यही वर्ग बनाता है।
ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक हरि नारायण चारी मिश्रा ने आईएएनएस को बताया कि अपराध और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने से लेकर थाने की अन्य व्यवस्थाओं और आमजन के बीच पुलिस की छवि बनाए रखने का जिम्मा आरक्षक से उपनिरीक्षक तक पर होता है। अच्छा काम करने वाले इस वर्ग के अधिकारी व कर्मचारी को सम्मान और श्रेय मिले, इस बात को ध्यान में रखकर ‘कॉप ऑफ द वीक’ योजना शुरू की गई है।
उन्होंने आगे बताया कि इस योजना का मकसद पुलिस जवानों में उत्साह बरकरार रखना और कार्रवाई के एवज में उन्हें सम्मानित किया जाना है। इसके लिए हर थाने से कांस्टेबल व हेडकांस्टेबल में से एक और सहायक उपनिरीक्षक व उपनिरीक्षक में से एक का चयन किया जा रहा है, यानी हर थाने से दो का चयन।
मिश्रा मानते हैं कि अपराध पर नियंत्रण की बात हो या कोई अन्य मामला, सफलता का श्रेय अफसरों के ही खाते में जाता है। वहीं अहम भूमिका निभाने वाला सामने नहीं आ पाता। इस योजना के जरिए चयनित ‘कॉप ऑफ द वीक’ की तस्वीर थाने के सूचना पटल पर लगाई जाती है और साथ में इस बात का ब्योरा दर्ज होता है कि उसने इस सप्ताह कौन सा उत्कृष्ट कार्य किया है।
‘कॉप ऑफ द वीक’ के चयन की एक प्रक्रिया है। हर सप्ताह सोमवार से शनिवार तक अधिकारी और कर्मचारी की सप्ताह भर में किए गए कार्य का मूल्यांकन किया जाता है, उसके बाद प्रति सोमवार को ‘कॉप ऑफ द वीक’ की तस्वीरें सूचना पटल पर चस्पा की जाती है।
विश्वविद्यालय थाने में पदस्थ कांस्टेबल अर्चना कंसाना ‘कॉप ऑफ द वीक’ चुनी गई हैं। उन्होंने अपने साथियों के साथ चार इनामी बदमाशों को पकड़ा था। उनका कहना है कि इस तरह के पुरस्कार मनोबल को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं। साथ ही अपराधों पर अंकुश लगाने और अपराधियों को पकड़ने के लिए उत्साह बढ़ता है।
इसी थाना क्षेत्र के कांस्टेबल जैनेंद्र गुर्जर ‘कॉप ऑफ द वीक’ चुने जाने से उत्साहित हैं। वह कहते हैं कि पुरस्कर का मतलब सिर्फ राशि से नहीं है। अच्छे काम पर सम्मानित किए जाने से उत्साह तो बढ़ता ही है, साथ में घर परिवार के लोगों को भी लगता है कि उनके परिवार के सदस्य ने अच्छा काम किया है।
इस योजना के तहत थाना परिसर की साफ-सफाई, आमजनों से व्यवहार, थाना क्षेत्र में कानून व्यवस्था, अपराधों का समयावधि में निराकरण या रिकार्ड का रखरखाव, क्षेत्र में यातायात व्यवस्था, संपत्ति संबंधी मामलों की पतारसी (जानकारी या ब्योरा), सनसनीखेज अपराधों का खुलासा, वारंट की तामीली, सामुदायिक पुलिसिंग में उल्लेखनीय कार्य के आधार पर ‘कॉप ऑफ द वीक’ चयन किया जाता है।
पुलिस अधीक्षक मिश्रा ने ‘कॉप ऑफ द वीक’ पुरस्कार की योजना शुरू करके जवानों में उत्साह और जोश भरने की कोशिश की है। इस योजना से जवान उत्साहित भी हैं। उनमें अच्छा काम करने की होड़ भी नजर आती है।